कोरोना के कारण लागू लॉकडाउन के समय से ही कई बिल्डर्स ने अपनी आवासीय इकाइयों को पूरा कर लिया था। इसलिए उन्हें ज्यादा परेशानियां का सामना नहीं करना पड़ा। रियल इस्टेट कारोबार से जुड़े जानकारों ने बताया कि ऐसी डेढ़ से दो हजार छोटी एवं बड़ी आवासीय इकाइयां हैं। इनमें ड्यूपलैक्स, अपार्टमेंट और सिंग्लैक्स आदि तैयार हैं। ग्राहक सीधे पजेशन ले सकता है। हालांकि कुछ प्रोजेक्ट ऐसे भी हैं जिनमें दिक्कत अभी भी दूर नहीं हुई है। उनके यहां काम करने वाले मजदूर अभी लौटे नहीं हैं। इसलिए काम तेज गति से नहीं चल रहा है।
रॉ मटेरियल की समस्या
मौजूदा समय में जो प्रोजेक्ट अधूरे हैं, उनके लिए रॉ मटैरियल मिलना थोड़ा मुश्किल हो रहा है। सीमेंट तो आसानी से मिल रही है। रेत की किल्लत है। समय पर वह नही मिलती। लेकिन टाइल्स, ग्रेनाइट और मार्बल आदि की सप्लाई बाधित है। लेबर की कमी का सामना भी बिल्डर्स को करना पड़ रहा है। एक अनुमान के अनुसार रियल इस्टेट क्षेत्र में करीब 25 हजार लेबर काम करती है लेकिन अभी की स्थिति में करीब 40 फीसदी लेबर काम के लिए मिल पा रही है।
मकानों की बिक्री यथावत है। बैंकों का भी इस समय अच्छा सहयोग मिल रहा है। फिलहाल लोगों में यह सोच आई है कि तैयार मकानों की कीमतें कम होंगी। वे ऐसे मकानों की तलाश भी कर रहे हैं। लेकिन ऐसा नहीं है।
एसएस मोखा, बिल्डर्स
रियल इस्टेट के कारोबार में सुधार हुआ है। तैयार मकानों की पूछपरख है। उनकी बिक्री भी हो रही है। अभी जो समस्या बनी हुई है, वह कुछ प्रमुख रॉ मटैयिल की है। वह आसानी से नहीं मिल रहा।
दीपक अग्रवाल, सचिव जबलपुर क्रेडाई
सम्पत्ति की रजिस्ट्री की स्थितियां पहले की तरह हो गई हैं। रोजाना काफी संख्या में रजिस्ट्री हो रही हैं। इनमें तैयार मकानों की संख्या भी काफी ज्यादा है। इस संकट में भी लोग सम्पत्ति की खरीदी एव बिक्री कर रहे हैं।
निधि जैन, जिला पंजीयक