ई अदालत, ई सेवा केन्द्र, ई सुनवाई से प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग में कमी आई है। न्याय प्रशासन में केवल कानूनी ज्ञान ही नहीं युक्ति, विवेक का सहारा भी लेने की जरूरत है। ताकि न्याय की हानि से बचा जा सके। न्याय के आसन पर बैठने वाले व्यक्ति में किसी प्रकार के पूर्वाग्रह से मुक्त होना चाहिए। उनका आचरण मर्यादित, संदेह से पर और न्याय दिलाने वाला होना चाहिए। न्याय प्रशासन में संख्या से अधिक गुणवत्ता पर ज्यादा महत्व दिया जाता है। इन सब में राज्य न्यायिक अकादमियों में इसकी भूमिका अहम हो जाती है।
मेरी अपेक्षाएं बढ़ गई हैं अब उच्च न्यायालय अपनी अपनी क्षेत्रीय भाषाओं में प्रमाणित अनुवाद करें। ताकि वहां के लोगों को न्याय पालिका पर विश्वास और प्रगाढ़ हो। कानूनों के लूप होल्स पर न्याय पालिकाओं को सजग रहकर उन्हें दूर करना चाहिए। दो दिन होने वाले मंथन में मेरे इन बिंदुओं पर चर्चा हो और निष्कर्ष निकले। मुझे प्रसन्नता होगी कि मंथन के निर्णयों व बिंदुओं की एक प्रति मुझे भी दें।