निजी अस्पतालों में जगह नहीं, अधिकारियों से पहचान के बिना इंजेक्शन मिलना मुश्किल

जबलपुर में कोरोना के कहर के साथ मनमानी व अव्यवस्थाएं बढ़ा रही मरीजों की पीड़ा
 
 

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केस एक
सिहोरा निवासी 80 वर्षीय बुजुर्ग को लेकर परिजन शहर के निजी अस्पतालों के चक्कर काटते रहे। कुछ अस्पतालों ने बिस्तर होने की बात कही। परिजन एम्बुलेंस से मरीज को लेकर पहुंचे, तो उनकी हालत गम्भीर बताते हुए अस्पताल ने मेडिकल ले जाने की सलाह दे दी। बाद में परिजन मरीज को मेडिकल लेकर गए। इस बीच उनकी हालत और बिगड़ गई।
केस-दो
राइट टाउन निवासी एक 60 वर्षीय मरीज कोविड से ठीक हो गए थे। लेकिन, उनका ऑक्सीजन लेबल डाउन हो रहा था। परिजन मरीज को लेकर कई निजी अस्पताल गए। अस्पतालों ने ऑक्सीजन की कमी सहित अन्य समस्या बताते हुए मरीज को भर्ती करने से इंकार कर दिया।

जबलपुर। कोरोना मरीजों की संख्या जबलपुर में एक दिन में पांच सौ पार होने के साथ ही स्वस्थ्य व्यवस्थाएं लडखड़़ा गई हैं। नए कोरोना मरीज मिलने की गति हर दिन बढऩे से निजी अस्पताल के कोविड आइसोलेशन वार्ड फुल हो गए हैं। कोविड के लिए चिन्हित कई निजी अस्पतालों ने सोमवार को नो रूम के बोर्ड टंगा दिए है। भटकने के बाद मरीज सरकारी अस्पतालों की ओर रुख कर रहे हैं। इससे मेडिकल अस्पताल से लेकर जिला अस्पताल तक कोविड आइसोलेशन वार्डों में मरीज बढ़ गए हैं। लगातार मरीज बढऩे के साथ अस्पतालों में अव्यवस्थाएं बढऩे लगी है। ऑक्सीजन बेड की कमी होने लगी है। भर्ती करने के बाद स्टाफ की मनमानी मरीजों की पीड़ा और बढ़ा रही है।
गम्भीर मरीजों को भर्ती नहीं कर रहे निजी अस्पताल
सूत्रों के अनुसार निजी अस्पतालों ने मरीजों को भर्ती करने के लिए भी अपनी नीति बना ली है। निजी अस्पताल केवल उन मरीजों को ही भर्ती कर रहे हैं, जिनमें रिस्क कम है। कम उम्र व 90 से उपर ऑक्सीजन वाले मरीजों को निजी अस्पताल में बिस्तर मिल जा रहे हैं। जिन मरीजों की ऑक्सीजन 90 से कम है व उम्र ज्यादा है, उन्हें पोर्टल पर बिस्तर संख्या दर्ज होने के बाद भी अस्पतालों में बिस्तर नहीं मिल रहे। कोरोना के गम्भीर मरीजों के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन की किल्लत अभी भी है। जरूरतमंद तक इंजेक्शन पहुंचने के प्रशासन के प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। कालाबाजारी रोकने के लिए प्रशासन ने मरीज की जरूरत पर सम्बंधित अस्पताल को इंजेक्शन देने की व्यवस्था की है। इसमें अब निजी अस्पतालों में गड़बड़ी की शिकायत आ रही है। शहर के दो निजी अस्पतालों में आइसीयू में भर्ती गम्भीर कोरोना मरीज के हिस्से के रेमडेसिविर इंजेक्शन दूसरे मरीज को लगा दिए गए। इसकी शिकायत परिजनों ने की तो अस्पताल ने उन्हें और इंजेक्शन लाकर देने का दबाव बनाया। अधिकारियों से जान-पहचान के बिना इंजेक्शन मिलना मुश्किल हो रहा है।
ऑक्सीजन की मांग चार गुना से ज्यादा हुई
कोरोना के मरीज लगातार बढऩे के साथ अस्पतालों में ऑक्सीजन की मांग चार गुना से ज्यादा हो गई है। अस्पताल में भर्ती हो रहे ज्यादातर बुजुर्ग मरीजों को ऑक्सीजन की जरुरत पड़ रही है। देर से पहुंचने के कारण कम उम्र के मरीजों का ऑक्सीजन स्तर भी कम मिल रहा है। बड़े से लेकर छोटे अस्पताल तक में ऑक्सीजन के पिछले महीने तक हो रही सिलेंडर की खपत चार गुना तक बढ़ गई है। होम आइसोलेशन में भी कई मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है। इससे ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए मारामारी बढ़ गई है। कोरोना के बढ़ते संक्रमण और संसाधनों की किल्लत के बीच ऑक्सीजन और रेमडेसिविर इंजेक्शन की खपत को नियंत्रित करने के प्रयास प्रशासन ने शुरूकर दिए हैं। प्रशासन के अनुसार 92 से 95 ऑक्सीजन लेवल वाले संक्रमित को पांच लीटर प्रति मिनट और 90 से कम ऑक्सीजन लेवल वाले मरीज को सात लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन देना है। वेंटीलेटर पर 10-15 लीटर प्रतिमिनट ऑक्सीजन दी जाएं। 9 बाय 25 से ज्यादा सीटी स्कोर वाले मरीजों को आयु एवं कॉमार्बिटी का ध्यान रखते हुए रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाना है।

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