जबलपुर। मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय की लापरवाही से नर्सिंग के लगभग 30 हजार छात्र-छात्राओ का एक वर्ष खराब हो सकता है। मामला नर्सिंग के छात्र-छात्राओं को कोरोना काल में अगली कक्षा में जनरल प्रमोशन देने का है। समय पर अधिकारी सत्र 2019-20 की नर्सिंग परीक्षा के आयोजन पर निर्णय नहीं ले सके। सरकार से रायशुमारी के बिना ही अंतिम वर्ष को छोड़कर बाकी कक्षाओं में जनरल प्रमोशन के निर्देश जारी कर दिए। बाद में सरकार ने जनरल प्रमोशन से मना कर दिया। इससे नर्सिंग के छात्र-छात्राओं का सत्र एक वर्ष पिछडऩे की कगार पर है। कोरोना की पहली लहर के समय प्रदेश सरकार ने इंटरनल या ओपन बुक जैसी व्यवस्था के जरिए चालू सत्र की परीक्षा कराकर छात्र-छात्राओं को अगली कक्षा में प्रवेश के निर्देश दिए थे। लेकिन चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा संंबंधी पाठ्यक्रमों की संवदेनशीलता के कारण इनमें इस व्यवस्था को लागू नहीं किया था। इसके बावजूद जिम्मेदारों ने जनरल प्रमोशन का निर्णय कर लिया।
ये हुई कवायद
-नर्सिंग की सत्र 2019-20 की परीक्षा जुलाई में होनी थी। उस वक्त कोरोना पीक पर था। परीक्षा कराने और वैकल्पिक व्यवस्था पर विचार ही नहीं किया।
– इंडियन नर्सिंग काउंसिल (आइएनसी) ने नर्सिंग छात्र-छात्राओं को अगली कक्षा में प्रोन्नत करने संबंधी निर्देश जुलाई, 2020 में जारी किया था। यह आदेश दिसंबर, 2020 में लागू किया।
-आइएनसी के आदेश के आधार पर फायनल को छोड़ बाकी कक्षा में जनरल प्रमोशन का निर्देश जारी कर दिया। इसके लिए राज्य सरकार और चिकित्सा विभाग से अनुमति नहीं ली। विभाग ने बाद में अनुमति देने से मना कर दिया।
यह है स्थिति
– 200 के लगभग नर्सिंग कॉलेज
– 80 के करीब सीटें यूजी में
– 30 हजार के करीब छात्र-छात्राएं