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जबलपुर। ओवरटेक के विवाद में लग्जरी कार एमपी 20 सीई 5545 सवार पुलिस कर्मियों ने कार सवार को सरेआम दौड़ा-दौड़ का पीटा। वर्दी में मौजूद पुलिस कर्मियों को देख कोई बीच-बचाव का साहस नहीं कर पाया। पीडि़त ने डायल-100 पर मामले की सूचना दी। एफआरवी पहुंची तो वह कार में घायल हालत में मिला। उसे लेकर थाने पहुंची। वहां पुलिस कर्मियों का मामला सामने आया तो तिलवारा थाना प्रभारी के हाथ-पांव फूल गए। आरोप है कि उन्होंने मामला दर्ज करने की बजाय पीडि़त पर ही समझौता का दबाव डालने लगे। देर रात तक पीडि़त एफआईआर पर अड़ा था।
गंधेरी निवासी सुनील यादव लम्हेटी निवासी मामा के घर गए थे। सुनील के मुताबिक कार सवार ने उनके मामा को गाली दी। उन्होंने पीछा किया। फिर बातचीत हुई और समझौता हो गया। वह मामा के घर से कार से लौट रहा था। रात 10 बजे के लगभग वह तिलवारा-चरगवां मोड़ स्थित पेट्रोल पम्प के सामने पहुंचा। तभी लग्जरी कार सवार पहुंचे और उसे अकेला पाकर कार से खींच कर बेरहमी से मारने-पीटने लगे। सुनील यादव का दावा है कि एक कर्मी वर्दी में और दो पिस्टल खोसे हुए थे। तीनों ही ट्रैफिक विभाग में सूबेदार हैं। आरोप लगाया कि तीनों मारपीट के समय नशे में धुत थे। सुनील ने तीनों के जाने के बाद डायल-100 पर सूचना दी। इसके बाद तिलवारा की एफआरवी पहुंची और उसे घायल हालत में लेकर थाने पहुंची।
वर्दी में शराब पीना और खुलेआम पीटना अनुशासनहीनता-
रिटायर्ड डीआईजी मनोहर वर्मा के मुताबिक वर्दी में शराब पीना और किसी की पिटाई करना अनुशासनहीनता है। पुलिस कर्मी हो या पुलिस अधिकारी, अनुशासन तोडऩे वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। डायल-100 में शिकायत के बाद तो कायदे से तीनों पुलिस कर्मियों का मेडिकल जांच करानी थी, कि वे एल्कोहल में थे कि नहीं। वहीं पीडि़त की शिकायत पर एफआईआर दर्ज होनी चाहिए, न कि जबरन समझौता के लिए दबाव डालने की प्रवृत्ति ही पुलिस कर्मियों में अनुशासनहीनत को बढ़ावा देती है। ऐसे थाना प्रभारी पर भी पुलिस अधीक्षक को एक्शन लेना चाहिए।