गुमनामों के फरिश्ता हैं इनायत

– 70 साल में बुलंद हुआ लोकतंत्र, तिनका-तिनका ही सही अपना शहर बुन रहा ‘गण-तंत्रÓ का सपना

<p> &#8216;Gana-Tantra&#8217; dream</p>
जबलपुर. गुमनामी में आखिरी सांस लेने वालों के लिए सैयद इनायत अली किसी फरिश्ते से कम नहीं हैं। जाति-धर्म की सीमा को तोड़कर ये लावारिस और असहाय लोगों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं। छोटा सा गैराज चलाने वाले इनायत के अब्बा को कई साल पहले विक्टोरिया अस्पताल में बेल्डिंग का काम मिला। इस दौरान दो दिन से एक शव रखा हुआ था। कोई नहीं आया तो इनायत के अब्बा ने उसका अंतिम संस्कार किया। इनायत के पांच भाई प्रतिदिन की पहली आमदनी का एक अंश एक बॉक्स में डालते है।
देश में गणतंत्र लागू हुए 70 वर्ष होने वाले हैं। इस दौरान बहुत कुछ बदल गया है। बहुत कुछ बदलने की प्रक्रिया में है। ‘तिनका-तिनकाÓ ही सही। अपने शहर से भी गणतंत्र को बड़ी ताकत मिल रही है। इन वर्षों में संस्कारधानी ने तमाम उतार-चढ़ाव के दौर देखे। इनमें पिछले 10 वर्षों का आंकलन किया जाए। तो कई बदलाव सकारात्मक और उ्मीदों वाले हुए। न्यायधानी की उपमा से विभूषित इस शहर को धर्मशास्त्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी मिली। ट्रिपल आईटीडीएम के इंजीनियर देश-दुनिया में शहर का डंका बजा रहे हैं। डीआरडीओ की ओर से नौनिहालों के लिए आधुनिक लैब मिली। सरकारी अस्पतालों की दुर्दशा पर रोना रोने वाले एक बार एल्गिन अस्पताल आकर देख लें तो अपनी धारणा बदल लेंगे।
विधि शिक्षा को
नए आयाम
वर्ष 2018 में स्थापित धर्मशास्त्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (डीएनएलयू) साउथ सिविल लाइंस स्थित टेलीकॉम विभाग के ट्रेनिंग सेंटर टीटीआर के कैम्पस में संचालित हो रही है। डुमना एयरपोर्ट के पास पिपरिया में 120 एकड़ जमीन में यूनिवर्सिटी का निर्माण होगा। पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा ने 29 जून 2018 को डीएनएलयू का शिलान्यास करते हुए कहा था कि यह संस्थान प्रदेश में विधि की शिक्षा में मील का पत्थर साबित होगा।
डॉ. कलाम की परिकल्पना हो
रही साकार
पं. लज्जा शंकर झा उत्कृष्ट मॉडल स्कूल में बनी डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्रयोगशाला नन्हें-मुन्नों में वैज्ञानिक सोच विकसित कर रही है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने लैब को तैयार किया है। महानिदेशक डीआरडीओ एवं प्रबंध निदेशक ब्रम्होस एयरोस्पेस डॉ. सुधीर मिश्रा की परिकल्पनाओं के आधार पर करीब 1.25 करोड़ की लागत से यह लैब तैयार की गई।
ट्रपल आईटीडीएम
का विदेशों में डंका
द्वारका प्रसाद मिश्र भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी अभिकल्पन एवं विनिर्माण संस्थान (ट्रिपल आईटीडीएम) ने संस्कारधानी को नई पहचान दी है। संस्थान वर्ष 2005 में स्थापित हुआ था। यहां से हर साल तकनीकी रूप से दक्ष 200 विशेषज्ञ तैयार होते हैं। अब तक 2500 से अधिक छात्र यहां से निकले हैं। 500 से अधिक छात्र जापान, कैलिफिोर्निया, यूएसए, सिंगापुर में पदस्थ हैं। जापान-भारत की शिक्षा साझेदारी के अंतर्गत संस्थान का संचालन हो रहा है।
प्रदेश का पहला
सिविल अस्पताल
वर्ष 1942 में स्थापित एल्गिन अस्पताल महिलाओं के उपचार का प्रमुख केंद्र है। अस्पताल ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ी है। सबसे साफ-सुथरे अस्पताल के रूप में लगातार तीन वर्ष तक प्रदेश में पहला कायाकल्प अवॉर्ड हासिल किया। केंद्र सरकार की लक्ष्य योजना में शामिल यह प्रदेश का एकमात्र अस्पताल है। सिविल अस्पताल वर्ग में नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस स्टैंडर्ड का सर्टिफिकेशन हासिल करने वाला भी यह प्रदेश का पहला अस्पताल है।
कैंसर मरीजों की नि:शुल्क सेवा
कैंसर की आखिरी स्टेज के मरीजों को सकारात्मक जीवन शैली के साथ रोग से संघर्ष करने का कार्य ब्रह्मर्षि बावरा मिशन की साध्वी ज्ञानेश्वरी दीदी के प्रयासों से हो रहा है। वर्ष 2013 में सेवा प्रकल्प विराट हॉस्पिटल शुरू किया। यहां गम्भीर मरीजों का इलाज होता है। आश्रम के रूप में स्थापित हॉस्पिटल में सभी प्रार्थना, श्रीराम नाम लेखन और जप करते हैं। 28 बिस्तरों वाले इस अस्पताल में मरीजों को यहीं रखकर सेवा की जाती है।
अक्षमता से आजादी
का प्रकल्प
गढ़ाफाटक निवासी योगाचार्य डॉ. शिवशंकर पटेल 75 वर्ष की उम्र में भी नि:शुल्क योग प्रशिक्षण दे रहे हैं। उन्होंने योग शिक्षा को जीवन का उद्देश्य बना लिया है। वर्ष 2002 में एक बैंक से सेवानिवृत्त होने के बाद अपने घर की छत और शिविरों में योग का प्रशिक्षण देते हैं। वे नर्मदा पंचकोसी परिक्रमा समिति के अध्यक्ष भी हैं। माघ कल्पवास में हरे कृष्णा आश्रम भेड़ाघाट में प्रशिक्षण शिविर लगा रहे हैं।
स्वच्छता और बेटी बचाओ का संदेश
साढ़े छह साल की उम्र, लेकिन इरादा चट्टानों जैसा। कभी स्कूलों के बाहर, तो कभी सरकारी और निजी दफ्तरों में यह बालिका स्वच्छता और बेटी बचाओ का संदेश देती नजर आती है। केंद्रीय विद्यालय वन एसटीसी में दूसरी कक्षा की छात्रा शैलवी धूसिया ने ढाई वर्ष की उम्र से यह प्रयास शुरू किया, जो अभियान बन गया। बृजलाल धूसिया की बेटी शैलवी कविताओं, शब्दों से लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करती हैं।
दिल के डॉक्टर ने
‘दिलÓ की सुनी
आरएस शर्मा एम्स नई दिल्ली से डीएम-कॉर्डियोलॉजी करने वाले पहले डॉक्टर हैं। इन्होंने मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के बतौर कुलपति चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए कई ऐसे निर्णय लिए जो नजीर बने। कुलपति का कार्यकाल समाप्त हुआ, तो उनके मन में अपना अनुभव भावी डॉक्टरों (मेडिकल स्टूडेंट्स) के साथ साझा करने का विचार आया। उन्होंने सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में नि:शुल्क सेवा देना शुरू किया है।
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