300 साल पुराने पेड़ काटकर जंगल को बना दिया मैदान

हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान, राज्य सरकार को कार्रवाई का निर्देश

<p>जंगल के सदियों पुराने वृक्षों को काट कर बना दिया मैदान</p>
जबलपुर. माफिया इस कदर वर्षों से समस्त प्राकृतिक संसाधनों का मनमाना दोहन कर रहे हैं, कि जंगल के जंगल साफ हो जा रहे है। नदियों का अंधाधुंध दोहन हो रहा है, खनन हो रहा है। पर शासन प्रशासन को कुछ भी नहीं दिख रहा। मामला कोर्ट पहुंचे तो कोर्ट को सख्त एक्शन लेना पड़ता है। ऐसे ही एक मामले में हाईकोर्ट ने कड़ा निर्देश प्रदेश सरकार को जारी करते हुए दो माह की मोहलत दी है, आरोपियों को चिन्हित कर उनके विरुद्ध कठोर कार्रवाई के लिए।
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से सटे उमरिया जिले की मानपुर तहसील अंतर्गत धमोकर व ताला गेट के बीच का है, जहां कभी जंगल हुआ करता था। इस जंगल में 300-300 साल पुराने वृक्ष थे। लेकिन माफिया की नजर क्या लगी, सब कुछ तहस-नहस हो गया। जंगल की कीमती, वर्षों पुराने वृक्षों को काट कर मैदान बना दिया गया। ईंट-भट्ठों का जाल फैल गया। नदियों का मनमाना दोहन होने लगा। अवैध खनन की तो बात ही क्या? ये बातें बताई गई हैं एक जनहित याचिका के जरिए जिस पर कोर्ट ने गंभीर रुख अख्तियार किया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता की शिकायत पर दो महीने में कार्रवाई करने का राज्य शासन को निर्देश दिया है।
दरअसल जबलपुर निवासी मुकेश अग्रवाल ने यह जनहित याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने बताया है कि दिसंबर 2019 में वो बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व भ्रमण के लिए गए थे। उस दौरान उसने वहां देखा कि टाइगर रिजर्व से सटे उमरिया जिले की मानपुर तहसील अंतर्गत धमोकर व ताला गेट के समीप के जंगल के लगभग 300 साल के बरसों पुराने पेड़ काटकर जंगल को मैदान बना दिया गया है। माफिया ने इस क्षेत्र में कई अवैध ईंट भट्टे संचालित कर रखे हैं। बड़े पैमाने पर अवैध खनन किया जा रहा है। यहां तक कि ईंट बनाने के लिए वो आसपास की पहाड़ी वन्य नदियों के पानी का अवैध रूप से दोहन कर रहे हैँ जिससे इन नदियों के अस्तित्व पर संकट खड़ा हो गया है। वन्य क्षेत्र में टाइगर रिजर्व के समीप चल रही इन अवैध गतिविधियों के चलते टाइगर रिजर्व व वन्य प्राणियों सहित पूरे इलाके का पर्यावरण बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। इसकी शिकायत की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नही हुई तो न्यायालय की शरण में आना पड़ा।
इस प्रकरण की सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव ने कोर्ट से कहा कि जनहित याचिकाकर्ता फिर से इस संबंध में अभ्यावेदन दे तो उस पर उचित कार्रवाई होगी। सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिका निराकृत करते हुए निर्देश दिए कि जनहित याचिकाकर्ता ई ल-मेल के जरिये वन विभाग के अधिकारियों को अपनी शिकायत अन्य जरूरी साक्ष्यों के साथ सौंपे। इस शिकायत पर विधिवत विचार व कार्रवाई करते हुए इसका सकारण आदेश के जरिये दो माह के भीतर निराकरण किया जाए।
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