इन गुरुओं ने बढ़ाया संस्कारधानी का मान, आज दुनिया करती है सलाम
आचार्य रजनीश ओशो
महाकोशल कॉलेज के एक असामान्य प्रोफेसर रजनीश से ओशो बनने तक का सफर तय करने वाले के आज लाखों की संख्या में देश विदेश में अनुयायी हैं। अपनी अलग ही शैली और मेडिटेशन से लोगों को तनाव मुक्त करने वाले ओशो की दीवानगी देखते ही बनती है। जबलपुर के देवताल में वह शिला आज भी मौजूद है जहां ओशो की अनुभूति उनके अनुयायियों को आज भी होती है।
पूरे विश्व में बोलबाला
आज पूरे विश्व में जहां इंटरनेट का बोल-बाला है, इसके बाद भी हर दूसरे मिनिट में ओशो साहित्य की एक किताब की बिक्री होती है। ओशो ने करीब 600 पुस्तकें लिखीं। संभोग से समाधी की ओर सबसे चर्चित साहित्य रहा है। उनके चाहने वालों ने सभी साहित्य को लगभग 100 विदेशी भाषाओं में अनुवादित कर दुनिया के कोने-कोने में फैलाने का कार्य कर रहे हैं।
इसके साथ ही रसिया, चाइना एवं अरब जैसे कम्युनिस्ट देशों में भी अब ओशो पढ़े और सुने जा रहे हैं। इसकी मुख्य कारण है कि ओशो में किसी प्रकार का जातिय, धार्मिक पाखंड नहीं है। यहां सिर्फ खुशहाल जीवन जीने का वैज्ञानिक दृष्टिकोण मिलता है। इसी के साथ नेट, मोबाइल और सीडी में भी ओशो वाणी लोगों की पसंद बनी हुई है।
महर्षि महेश योगी
मध्यम वर्गीय परिवार में जन्म, किराए के छोटे से मकान में गुजर-बसर, लेकिन सोच आसमान जैसी ऊंची। यह वर्णन है उस व्यक्तित्व जिसकी दीवानगी पूरी दुनिया में मौजूद है। उनका नाम है महर्षि महेश योगी, महर्षि ने वैदिक संस्कृति व भावातीत ध्यान को देश ही नहीं बल्कि दुनिया के 200 से अधिक देशों में पहुंचाया।
महर्षि महेश योगी का जन्म 12 जनवरी 1918 को छत्तीसगढ़ में रायपुर जिले के पाण्डुका गांव में हुआ था। उनका बचपन का नाम महेश प्रसाद श्रीवास्तव था। महेश योगी ने हितकारिणी स्कूल से मैट्रिक उत्तीर्ण करने के इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीएससी की पढ़ाई की और कुछ गन कैरिज फैक्टरी में नौकरी भी की। इस बीच उनकी मुलाकात स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती से हुई। बस यहीं से उनकी जिंदगी में नया मोड़ आया।
वैदिक शिक्षा में किया प्रवेश
महर्षि महेश योगी ने स्नातकोत्तर की उपाधि के बाद भारतीय वैदिक दर्शन की शिक्षा अर्जित की। साठ के दसक में मशहूर रॉक बैंड बीटल्स के सदस्यों के साथ ही वे कई बडी हस्तियों के आध्यात्मिक गुरू हुए और दुनिया भर में प्रसिद्ध हो गए । 40 व 50 के दशक में उन्होंने हिमालय में अपने गुरू से ध्यान और योग की शिक्षा ली, अपने इसी ज्ञान के द्वारा महर्षि महेश योगी ने आध्यात्मिक ज्ञान को बांटना प्रारंभ किया और दुनिया भर के लोग उनसे जुड़ते चले गए। योगी के अनुयायियों की मानें तो दुनिया में एक हजार से अधिक महर्षि विश्वविद्यालयों से भारतीय वैदिक परम्परा को दूर-दूर तक फैलाने वाली शिक्षा दी जा रही है।