याचिकाकर्ता का आरोप, हाईकोर्ट ने अतिरिक्त तथ्य प्रस्तुत करने के लिए दी मोहलत
जबलपुर. शहर के डुमना नेचर रिजर्व में कृत्रिम टाइगर सफारी बनाने की जिला प्रशासन व वन विभाग की योजना को चुनौती पर मप्र हाईकोर्ट ने गम्भीरता दर्शाई। याचिकाकर्ताओं की ओर से बुधवार को आरोप लगाया गया कि न केवल टाइगर सफारी, बल्कि अन्य कई प्रोजेक्ट्स के लिए भी सरकार डुमना नेचर रिजर्व की जमीन बांट रही है। इससे वन्यप्राणियों का जीवन खतरे में पड़ जाएगा। चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक व जस्टिस संजय द्विवेदी की डिवीजन बेंच ने याचिकाकर्ता को इस सम्बंध में अतिरिक्त तथ्य प्रस्तुत करने के लिए समय दे दिया। तीन जनहित याचिकाओं की एक साथ सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अगली सुनवाई 28 अप्रेल नियत की। जबलपुर निवासी जगत जोत सिंह, निकिता खम्परिया, विवेक शर्मा की ओर से एक, नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच की ओर से दूसरी व रिटायर्ड कर्नल एके रामनाथन, एरिक डी सुन्हा व रुद्राक्ष पाठक की ओर से तीसरी याचिका दायर की गई है। इन याचिकाओं की सुनवाई एक साथ हुई। अधिवक्ता मनोज शर्मा, अंशुमन सिंह, दिनेश उपाध्याय ने वीसी के जरिए कोर्ट को बताया कि डुमना नेचर पार्क जबलपुर का एकमात्र संरक्षित वन क्षेत्र है। यहां वन्य जीवों की विविधता में बहुतायत है। लेकिन जिला प्रशासन व वन विभाग यहां एक कृत्रिम टाइगर सफारी निर्माण की तैयारी कर रहा है। तर्क दिया गया कि चिडिय़ाघर की तर्ज पर बनाई जाने वाली टाइगर सफारी के बनने से पार्क में वन्य जीवन के लिए अवांछित गतिविधियां आरम्भ हो जाएंगी। इससे न केवल यहां के वन्य जीवन पर दुष्प्रभाव पड़ेगा, बल्कि प्राकृतिक पर्यावरण भी प्रदूषित होने की आशंका है।कोर्ट से आग्रह किया गया कि कुदरत के साथ होने वाली छेड़छाड़ को रोका जाए। तर्क दिया गया कि टाइगर सफारी का निर्माण शहर में अन्यत्र कहीं भी किया जा सकता है। इसके लिए संरक्षित वन क्षेत्र का चयन अनुचित और कानून के खिलाफ है। यह टाइगर सफारी पहले संग्रामसागर के समीप बनना प्रस्तावित थी। लेकिन इसे बिना वजह डुमना मे बनाया जा रहा है। शुक्रवार को सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता को अतिरिक्त तथ्य पेश करने की मोहलत दे दी। सरकार की ओर से उपमहाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली, नगर निगम की ओर से अधिवक्ता हरप्रीत सिंह रूपराह व एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की ओर से अधिवक्ता अनूप नायर उपस्थित हुए।