2017 को किया था फाइल
बताया जाता है विश्वविद्यालय द्वारा तैयार की गई इस तकनीक को भारत सरकार के समक्ष पेटेंट के लिए 16 जनवरी 2017 को फाइल किया था। लंबी जांच प्रक्रिया के बाद जिसे हाल ही में भारत सरकार के पेटेन्ट आफिस द्वारा अधिनियम 1970 के उपबंध के अनुसार 20 वर्ष की अवधि के लिये पेटेन्ट प्रदान किया गया है।
घास कुल के पौधों के लिए उपयोगी
विवि के जैव प्रौद्योगिकी केन्द्र के शोधकर्ता संचालक डॉ. शरद तिवारी, सहायक प्राध्यापक डॉ. कीर्ति तन्तवाय एवं सहशोधार्थी डॉ.नीरज त्रिपाठी ने पेटेन्ट डीएनए बारकोड फॉर स्पीशीज आइडेन्टीफिकेशन ऑफ सेज प्लान्ट्स एण्ड मेथड्स देयर ऑफ विषयक तकनीक विकसित की है। डीएनए बारकोड आधारित इस तकनीक से एक समान दिखने वाले पौधों (खासकर औषधीय महत्व के घास कुल के पौधों) की पृथक पहचान आसानी से की जा सकती है। विश्वविद्यालय को प्राप्त होने वाला यह पहला पेटेन्ट है।
विवि प्रबधंन हुआ गदगद
इस उपलब्धि पर विवि प्रबंधन भी गदगद है। कुलसचिव रेवासिंह सिसोदिया, अधिष्ठाता कृषि संकाय डॉ. धीरेन्द्र खरे, संचालक अनुसंधान सेवाएं डॉ . पीके मिश्रा, संचालक विस्तार सेवायें डॉ. ओम गुप्ता,डॉ. अभिषेक शुक्ला, अधिष्ठाता कृषि अभियांत्रिकी संकाय डॉ.आरके नेमा, डॉ. एके भौमिक, डीएसडब्ल्यू डॉ. अमित शर्मा ने वैज्ञानिक दल को बधाई दी।
विवि के लिए बड़ी उपलब्धि: डॉ . बिसेन
-विवि द्वारा फाइल किए गए पेटेंट को भारत सरकार ने अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है। इससे पौधों की सटीक जानकारी मिल सकेगी। कल ही हमारे पास पत्र पहुंचा। इससे हमें नए काम करने की उर्जा मिलेगी। निश्चित ही यह विश्वविद्यालय के लिये यह बड़ी उपलब्धि है।
-डॉ.पीके बिसेन, कुलपति कृषि विवि