corona in MP : जबलपुर में घटे कोरोना के मरीज, निजी अस्पलों में उपचार से आंकड़े हुए कम

शहर में एक्सरे और सीटी-स्कैन के आधार पर हो रहा इलाज

<p>Corona Update : 22 हजार के पार पहुंची संक्रमितों की संख्या, अब तक 538 की मौत</p>

जबलपुर। शहर में निजी अस्पतालों में कोविड-19 का उपचार रफ्तार पकडऩे के बाद सरकारी रेकॉर्ड में नए संक्रमित की संख्या कम हो गई है। जिले में तेजी से नए मरीज घट रहे हैं। निजी अस्पतालों में कोरोना संदिग्ध का एक्स-रे और सीटी-स्कैन से जांच करके जरूरत होने पर कोविड उपचार कर रहे हैं। ऐसे ज्यादातर मरीजों की कोविड केस की रिपोर्टिंग नहीं हो रही है। इधर, स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्रतिदिन जांच के लिए भेजे जाने वाले नमूने की संख्या भी संक्रमित बढऩे के बाद घट गई है। इससे संक्रमण दर के कम होने की हकीकत को लेकर जानकारों के मत अलग-अलग है।


डेथ ऑडिट के बाद कोरोना संक्रमित की मौत का आंकड़ा जारी करने की व्यवस्था से प्रतिदिन होने वाले कोविड मरीज की मौत के आंकड़ों में भी फर्क आ रहा है। इससे कोरोना मृत्यु दर को लेकर भी संशय बना हुआ है। जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. रत्नेश कुररिया के अनुसार जागरुकता और सावधानी से संक्रमण में कमी आयी है। कोरोना प्रत्येक मौत को डेथ ऑडिट के बाद रेकॉर्ड में दर्ज किया जा रहा है। सेम्पलिंग लगातार बढ़ाने का प्रयास है।

 

दो-तीन मौत का रोजाना औसत
कोरोना का कहर सितंबर माह में सबसे ज्यादा बरपा है। जिले में मिले कुल कोरोना मरीजों में आधे से ज्यादा संक्रमित सितंबर माह में मिले हैं। कोरोना से सबसे ज्यादा मौतें भी सितंबर माह में हुई है। माह में कई दिन में सात से आठ कोरोना मरीज की मौत हुई है। लेकिन प्रतिदिन दम तोडऩे वाले मरीजों का डेथ ऑडिट उसी दिन ना होकर बाद में करके संख्या जारी किए जाने से आंकड़ों में फर्क बना रहा। पूरे महीने नए कोरोना संक्रमित की संख्या में कई उतार-चढ़ाव आए लेकिन सरकारी रेकॉर्ड में प्रतिदिन कोरोना से मौत का औसत 2-3 ही बना रहा। जबकि इस दौरान कोविड प्रोटोकॉल से होने वाले जिले के मृत व्यक्तियों की संख्या भी अपेक्षाकृत ज्यादा बनी हुई है। निजी अस्पताल की कुछ मौतें अभी तक रेकॉर्ड में दर्ज नहीं हुई है।

संक्रमित बढ़ते ही कम किए सैम्पल
अगस्त माह में प्रतिदिन औसत डेढ़ सौ के करीब मिल रहे कोरोना मरीज की संख्या सितंबर माह के मध्य तक ढाई सौ पहुंच गई थी। सितंबर के पहले पखवाड़े में कोरोना संदिग्धों की जांच के लिए प्रतिदिन लिए जाने वाले नमूने करीब दो हजार थे। इसके बाद पॉजिटिविटी रेट बढ़ा तो प्रतिदिन जांच के लिए लिए जाने वाले नमूने घट गए। सितंबर माह के आखिरी पखवाड़े में प्रतिदिन डेढ़ सौ की औसत से भी सेम्पलिंग नहीं हुई। सितंबर में निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन बेड बढऩे और कोविड जांच शुरू होने से मरीज ज्यादा संख्या में भर्ती हुए। सामान्य लक्षण वाले कई मरीजों की सीटी-स्कैन के जरिए जांच और उपचार के बाद डिस्चार्ज किया गया। फीवर क्लीनिक में भी बिना लक्षण वाले मरीजों को बिना जांच दवा देकर घर भेज दिया गया। ये रेकॉर्ड में नहीं आए।

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