board exam : 50 फीसदी स्कूलों में नहीं हैं अंग्रेजी-गणित के शिक्षक, कैसे सुधरे परीक्षा परिणाम

शिक्षा विभाग बोर्ड परीक्षाओं का परिणाम सुधारने के लिए कई कवायद कर रहा है। लेकिन, स्कूलों में शिक्षकों की रिक्त पदों को भरने की ओर ध्यान नहीं है। आलम यह है कि जिले के 50 फीसदी स्कूलों में अंग्रेजी और गणित के विषय विशेषज्ञ शिक्षक नहीं है।

<p>board exam : 50 percent of schools do not have English-math teachers</p>
जबलपुर। शिक्षा विभाग बोर्ड परीक्षाओं का परिणाम सुधारने के लिए कई कवायद कर रहा है। लेकिन, स्कूलों में शिक्षकों की रिक्त पदों को भरने की ओर ध्यान नहीं है। आलम यह है कि जिले के 50 फीसदी स्कूलों में अंग्रेजी और गणित के विषय विशेषज्ञ शिक्षक नहीं है। स्कूलों में शिक्षकों के 25 फीसदी पद खाली हैं। शिक्षकों की कमी से अमूमन 60 फीसदी स्कूल जूझ रहे हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूल ज्यादा प्रभावित
जानकारों के अनुसार सबसे ज्यादा प्रभावित गांवों के 125 स्कूल हैं। अधिकांश शिक्षकों के शहर में पदस्थापना करा लेने से यह स्थिति बनी है। गांवों के 50 फीसदी स्कूलों में अंग्रेजी-गणित के शिक्षकों की कमी है, विज्ञान के शिक्षक भी कम हैं।
अतिथि शिक्षकों के भरोसे व्यवस्था
जिले के 65 फीसदी स्कूल अतिथि शिक्षकों के भरोसे हैं। कुछ स्कूलों में नियमित शिक्षकों के नाम पर एक-दो शिक्षक ही हैं। अतिथि शिक्षक की उपस्थित नियमित नहीं रहती।

मार्च से बोर्ड परीक्षाएं
दसवीं की परीक्षा तीन मार्च से हैं। जबकि, बारहवीं की परीक्षा दो मार्च से हैं। यह परीक्षाएं 31 मार्च तक चलेंगी।
तबादलों ने बिगाड़ी व्यवस्था
स्कूलों में शिक्षकों का गणित तबादलों के कारण बिगड़ा है। इस सत्र में दो बार तबादले किए गए। पहले राज्यस्तर पर फिर दो माह बाद जिले स्तर पर प्रक्रिया हुई।

स्कूलों में रिक्त पद
– 50 फीसदी अंग्रेजी
– 50 फीसदी गणित
– 35 फीसदी विज्ञान
– 25 फीसदी सामाजिक विज्ञान
– 10 फीसदी संस्कृत
– 05 फीसदी हिन्दी
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