शाम होते ही यहां आती हैं अजीब अजीब आवाजें, लोग कहते हैं यहां भूतों का डेरा

शाम होते ही यहां आती हैं अजीब अजीब आवाजें, लोग कहते हैं यहां भूतों का डेरा

<p>jalam singh patelhospital me bhoot in jabalpur</p>

जबलपुर। ग्वारीघाट से लगे आयुर्वेदिक चिकित्सालय में रात के समय सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं। रात होते ही अस्पताल वीरान हो जाता है। अस्पताल में जनरल वार्ड और प्रसूता वार्ड में मरीज भर्ती किए जाते हैं, लेकिन यहां मरीज-कर्मचारी की सुरक्षा के लिए कोई गार्ड नहीं है। कर्मचारी और मरीज ताले में बंद हो जाते हैं। अस्पताल में रात के समय सुरक्षा गार्ड भी नहीं रहता है। अस्पताल में मुख्यद्वार है लेकिन, यहां टूटी दीवार के बड़े हिस्से से ही लोगों का आना-जाना हो रहा है। रात में आयुर्वेदिक अस्पताल की हकीकत बयां करती पत्रिका की रिपोट…

न्यूज फैक्ट-
परिसर में खुलेआम प्रवेश, सुरक्षा गार्ड हैं ही नहीं
चौकीदार हो जाते हैं गायब
रात में ‘डरावना’ लगता है चिकित्सालय का परिसर
ग्वारीघाट से लगा शासकीय आयुर्वेदिक कालेज और अस्पताल परिसर में पुराने दो भवनों के अलावा हाल ही में एक नया भवन बनाया गया है। इस भवन में कॉलेज और कार्यालय है। इस भवन के सामने ही दो अन्य भवनों में भर्ती मरीजों के वार्डों के अलावा ओपीडी और अन्य लेब हैं। अस्पताल परिसर में आने के लिए मुख्यमार्ग की ओर द्वार बनाया गया है। इस द्वार के किनारे अस्पताल की बाउंड्रीवॉल टूटी है। इस जगह से ही अस्पताल में आना-जाना हो रहा है।

बाउंड्रीवॉल से प्रवेश
एक्सपोज टीम ने जब आयुर्वेदिक अस्पताल में प्रवेश करने चाहा तो बड़ी ही आसानी से अस्पताल के वार्डों तक पहुंच गए। अस्पताल की स्थिति यह थी कि मुख्यद्वार पर कोई भी पहरेदार नहीं था। मुख्यद्वार बंद था। मुख्यद्वार के किनारे से लगी साइड बाउंड्रीवॉल का करीब सौ फीट का हिस्सा टूटा हुआ था। रात के अंधेरे में वाहनों के पहिए के निशान स्पष्ट कर रहे थे कि इस जगह से ही वाहनों सहित लोगों का आना जाना होता है।

अंधेरे में डूबा था अस्पताल
सुरक्षा गार्ड नहीं होने के साथ अस्पताल की स्थिति का जायजा लिया गया तो यह सामने आया कि अस्पताल के जनरल वार्ड पर ही एक स्ट्रीट लाइट थी, इसके अलावा मुख्यद्वार पर सडक़ की स्ट्रीट लाइट की रोशनी थी। इसके अलावा नई बिल्डिंग में चिकित्सालय का न्यूसाइन बोर्ड दिखाई दे रहा था।

प्रसूता वार्ड के बाहर मोटरसाइकिल
अस्पताल के प्रसूता वार्ड के सामने एक मोटरसाइकिल खड़ी हुई थी। प्रसूता वार्ड बंद था। यहां कोई भी सुरक्षा गार्ड नहीं था। वार्ड में इसकी जानकारी लेने पर अनभिज्ञता जाहिर की गई।

जनरल वार्ड में था ताला
जनरल वार्ड में ताला लगा हुआ था। यहां वार्ड के प्रथम तल के कमरे में लाइट जल रही थी और करीब रात दो बजे धीमी आवाज में गाने की आवाज सुनाई दे रही थी। वार्ड के वरांडे में दो बाइक खड़ी थी। यहां कई बार आवाज दी गई लेकिन किसी ने भी पुकार नहीं सुनी।

पूछताछ करने वाला कोई नहीं
आयुर्वेदिक अस्पताल में करीब दो घंटे एक्सपोज टीम रही लेकिन किसी ने भी यह जानकारी लेने की कोशिश नहीं की कि कौन लोग हैं जो अस्पताल परिसर में घूम रहे हैं। आवाज देने पर भी किसी की टोह नहीं मिली।

पैरामेडिकल स्टाफ के भरोसे प्रसूता वार्ड
अस्पताल के प्रसूता वार्ड में भर्ती मरीज के अटेंडेन्ट के साथ मौजूद पैरामेडिकल स्टॉफ कर्मचारी दिखाई दिया। वार्ड में ताला लगा हुआ था और मौजूदा हालात में दो मरीज भर्ती थे। मौके पर पैरामेडिकल स्टॉफ से बातचीत की गई तो उसका कहना था कि…

आप यहां अकेली हैं क्या?
नहीं, यहां दो मरीज भर्ती हैं। मरीज के अलावा अन्य एक सहयोगी हैं।
तो क्या यहां डॉक्टर नहीं हैं क्या?
डॉक्टर ओपीडी में बैठते हैं। जरूरत पडऩे पर उन्हें कॉल किया जाता है।
लेकिन इमरजेंसी केस आता है तो क्या करते हैं आप?
उसके लिए मरीज को जिला अस्पताल या मेडिकल रिफर कर देते हैं।
यहां कोई सुरक्षा गार्ड तैनात नहंी है क्या?
गार्ड तो नहीं है।
तो क्या रात होते ही ताला लगा देते हैं?
हां, हमारे पास और कोई विकल्प नहीं है।

अस्पताल और कॉलेज में तीन पुराने चौकीदार हैं। गार्ड नहीं हैं लेकिन आउट सोर्सेस गार्ड रखे जाएंगे। परिसर की दीवार नगर निगम ने गिराई थी फिर उन्होंने नहीं बनवाई। पीडब्ल्यूडी का काम चल रहा है, जिससे हम एक माह के भीतर दीवार बनवाएंगे।
– डॉ. रविकांत श्रीवास्तव, प्राचार्य, शासकीय आयुर्वेदिक कॉलेज,

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