सीजीएचएस कार्डधारी के लिए बुरी खबर, ये अस्पताल नहीं मानते कार्ड, कैश में कर रहे इलाज

सीजीएचएस कार्डधारी के लिए बुरी खबर, ये अस्पताल नहीं मानते कार्ड, कैश में कर रहे इलाज
 

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जबलपुर। शहर के कई निजी अस्पताल सीजीएचएस कार्डधारी और लाभाॢथयों को कोरोनाकाल में ठेंगा दिखा रहे हैं। वे कोरोना का उपचार कैशलेस की जगह नकद राशि लेकर करते हैं। इसकी शिकायत कई मरीज कर चुके हैं। उन्हें इलाज के लिए भटकना पड़ा लेकिन सीजीएचएस प्रशासन सिटी अस्पताल को छोडकऱ किसी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं कर पाया है। ऐसे में हितग्राहियों का विश्वास घटा है।
जिले में निजी क्षेत्र के 25 से अधिक अस्पताल केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना सीजीएचएस से मान्यता प्राप्त हैं। इन अस्पतालों में कार्डधारी या उनके परिवार के पात्र सदस्यों का इलाज कैशलेस होता है। सामान्य इलाज से लेकर कई गंभीर बीमारियों से पीडि़त मरीजों को इसका लाभ मिलता है। इन मरीजों को शहर में स्थित पांच सीजीएचएस डिस्पेंसरी के माध्यम से रेफर किया जाता है। इसी प्रकार कुछ मरीज आपात स्थितियों में खुद ही इन अस्पतालों में भर्ती हो जाते हैं।

शिकायत के बाद भी नहीं हो रही कार्रवाई

यह है स्थिति
– 25 से अधिक निजी अस्पतालों को मिली है मान्यता।
– हर साल 4 से 5 करोड़ रुपए का बिल का भुगतान।
– 38 हजार से अधिक कार्डधारी, 90 हजार लाभार्थी।
– सीजीएचएस के अपर निदेशक का कार्यालय शहर में।
– शहर में पांच डिस्पेंसरी, छठवीं का होना हैं संचालन।

शहर के तीन से चार बड़े अस्पतालों की लिखित में शिकायत सीजीएचएस मुख्यालय और जबलपुर में अपर निदेशक से की गई, लेकिन उनमें से कई मामलों को अनसुना कर दिया गया। अस्पताल मनमानी कर रहे हैं। इनकी मान्यता समाप्त होनी चाहिए। सिटी अस्पताल पर कार्रवाई के उच्च स्तर पर शिकायत की गई तब उने इम्पैनल्ड सूची से संस्पेंड किया गया।
– सुभाष चंद्रा, अध्यक्ष सिटीजन वेलफेयर एसोसिएशन

कोरोनाकाल में निजी अस्पतालों का अलग रूप नजर आया। कई कोरोना पीडि़त लाभाॢथयों को इलाज से मना कर दिया गया। इलाज दिया तो नकद राशि जमा कराई गई। सामान्य बीमारी वाले मरीज भी परेशान हैं। इसक शिकायत अपर निदेशक से की गई लेकिन वे अस्पतालों के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई नहीं करते।
– आरएस तिवारी, अध्यक्ष भारतीय वरिष्ठ नागरिक एसोसिएशन

इस प्रकार की शिकायतें

केस एक
10 अप्रैल को कलेक्टर से शिकायत की गई कि टेक लाल विश्वकर्मा को उनके परिजन मेडिकल इमरजेंसी मे सिटी हास्पिटल ले गए लेकिन सीजीएचएस लाभार्थी होने का पता लगने पर इलाज से मना कर दिया गया। गंभीर हालत देखकर उनका पुत्र उन्हें जबलपुर हॉस्पिटल ले गया जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया। उनके पुत्र ने कहा कि यदि सिटी हास्पिटल में समय रहते इलाज मिल जाता तो उनके पिता शायद बच सकते थे।

केस दो
29 अप्रैल को केयर बाय कलेक्टर पर हुई शिकायत में कहा गया कि लाभार्थी मदन लाल बेन को मार्बल सिटी हास्पिटल में कोरोना के इलाज के लिए भर्ती कराया गया। अस्पताल ने भर्ती करने में आनाकानी की। बाद में करीब 70 हजार रुपए जमा कराए। इस बीच जब मरीज को डिस्चार्ज किया गया तो लगभग 1 लाख 40 हजार की मांग की गई। प्रशासन ने शिकायत पर मरीज को क्रेडिट सुविधा का लाभ दिया।

केस तीन
सात मई को लाभार्थी सुशील सोनी और एचसी राय के सीजीएचएस कार्ड को अमान्य करते हुए सिटी हास्पिटल और अनंत हास्पिटल ने नकद राशि जमा कर इलाज किया था। इसकी शिकायत अपर निदेशक सीजीएचएस जबलपुर से की गई थी। यह शिकायत सीजीएचएस मुख्यालय तक गई थी। इस पर जब सुनवाई हुई तो लाभाॢथयों के पुत्र और अस्पतालों के अधिकारियों को बुलाकर अपर निदेशक ने उन्हें लाभाॢथयों को निर्धारित दर से ज्यादा ली गई राशि लौटाने कहा था।

केस चार
8 अप्रेल को कलेक्टर और अपर निदेशक कार्यालय को सिटीजन वेलफेयर एसोसिएशन ने शिकायत दी थी। इसमें कहा गया कि 5 अप्रैल को एसपी त्यागी को मेट्रो अस्पताल ने यह कहकर भर्ती नहीं किया गया था कि बेड खाली नहीं है। जबकि रिकार्ड में 17 बेड खाली थे। उन्हें मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया, जहां 7 अप्रैल को उनकी मृत्यु हो गई। एसोसिएशन का कहना था कि तुरंत इलाज मिलता तो शायद उनकी जान बच जाती।

केस पांच
आठ अपै्रल को अपर निदेशक से शिकायत की गई थी कि चार सीजीएचएस कार्डधारी एवं लाभाॢथयों को मान्यता प्राप्त अस्पताल कोरोना का इलाज करने से मना कर दिया है। अपर निदेशक डॉ आरपी रावत ने दो मरीज राकेश सक्सेना एवं उनकी पत्नी को मार्बल सिटी एवं मेट्रो अस्पताल में भर्ती कराया लेकिन दो मरीज को भर्ती नहीं किया गया। इस पर संबंधित अस्पतालों की मान्यता समाप्त करने की मांग की गई थी।

 

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