जंगल में खत्म हुआ इंसानी दखल तो बिंदास हुए ‘सतपुड़ा के बाघ’

सतपुड़ा के जंगलों में बढ़ा बाघों का कुनबा, तीन साल में 35 से बढ़कर 50 के पार पहुंची बाघों की संख्या..

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इटारसी. जंगल में बाघ की हुकूमत होती है लेकिन जब से जंगलों में इंसानों का दखल बढ़ा तब से बाघों की संख्या तेजी से कम होने लगी लेकिन अब मध्यप्रदेश में सरकार और प्रशासन की पहल के बाद सतपुड़ा के जंगलों में इंसानों का दखल कम हुआ है और इसका फायदा ये हुआ है कि यहां बाघों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। पिछले तीन सालों में यहां बाघों की संख्या 35 से बढ़कर 50 के पार पहुंच चुकी है। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से 46 गांव खाली कराए जाने के बाद यहां बाघों का ‘परिवार’ तेजी से बढ़ा है।

 

बिंदास हुए ‘सतपुड़ा के बाघ’
टाइगर स्टेट मध्यप्रदेश के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के बाघ-बाघिन विस्थापन से बिंदास हो गए हैं। वनभूमि से 46 गांव बाहर किए जा चुके हैं। जिससे 11 हजार हेक्टेयर जमीन मानवीय दखल से मुक्त हो चुकी है। जिस पर घास के मैदान और 119 तालाब बनाए गए हैं और इन्हीं का परिणाम है कि अब यहां पर बाघों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। इस साल आठ नए बाघ शावकों की चहलकदमी भी जंगल में लगाए कैमरों में कैद हुई है। एक्सपर्ट्स बताते हैं कि पहले बाघ सहित दूसरे वन्यजीव इंसानों की वजह से या गाय-भैंस व कुत्तों को देखकर सहम जाते थे लेकिन जब से गांवों का विस्थापन हुआ है जंगल में जानवरों के लिए अनुकूल वातावरण बना है। वन विभाग ने विस्थापन के बाद करीब 6 करोड़ रुपए खर्च कर जानवरों के अनुकूल घास के मैदान और तालाब बनाए जिससे शाकाहारी जीवों की संख्या में इजाफा हुआ और जब शाकाहारी जीवों की संख्या बढ़ी तो बाघों को अच्छा भोजन मिलने लगा और उन्होंने इसी इलाके को अपना घर बना लिया जिससे यहां बाघों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है।

 

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विस्थापन से जमीन वन्यप्राणियों के हिस्से में आई
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से विस्थापित हुए गांवों की बात करें तो साल 2004-05 के बाद से अब तक 46 वनग्रामों को विस्थापित किया जा चुका है। दो और गांव विस्थापित किए जाने हैं। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक एसके सिंह बताते हैं कि विस्थापन के बाद जो जमीन खाली हुई वो वन्यप्राणियों के हिस्सों में आई। घास के मैदान और तालाब बनाए गए। यही वजह है की बाघों की संख्या जंगल में बढ़ी है।

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