यहां तक पहुंचने के लिए कंपनी ने सभी खदानों में प्रतिदिन होने वाली उत्पादन लक्ष्य को बढ़ा दिया है। गेवरा में भी प्रतिदिन डेढ़ से पौने लाख टन कोयले का उत्पादन किया जा रहा है। दीपका और कुसमुंडा परियोजना के अफसर और कर्मचारी भी लक्ष्य तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। वित्तीय वर्ष 2017- 18 में कोल इंडिया ने एसईसीएल को 153 मिलियन टन कोयले उत्पादल का लक्ष्य दिया है।
दूसरे स्थान पर एमसीएल
126 मिलियन टन कोयला उत्पादन के साथ महानदी कोल्ड फिल्ड दूसरे स्थान पर है। एमसीएल एसईसीएल को उत्पादन में कड़ी टक्कर दे रहा है।
डिस्पैच भी बड़ी चुनौती
एसईसीएल के लिए कोयला उत्पादन के साथ डिस्पेच भी बड़ी चुनौती है। इसे लेकर कोल इंडिया चेयरमैन ने भी सीएमडी से विडियो कांफ्रेसिंग कर चुके हैं। कोल अफसरों का कहना है कि जरूरत के अनुसार रैक नहीं मिलने से डिस्पेच प्रभावित हो रहा है। पिछले साल एक अप्रैल से गेवरा परियोजना से 29.43 मिलियन टन कोयले का डिस्पेच अलग अलग कंपनियों को किया गया है।