बंद कंपनी सैलेरी देने के लिए बाध्य नहीं, Supreme Court ने दिये कार्यवाई न करने के आदेश

सैलेरी न देने पर नहीं होगी कानूनी कार्यवाई
SUPREME CIOURT ने गृहमंत्रालय के आदेश पर लगाई रोक

<p>SUPREME COURT</p>

नई दिल्ली: 25 मार्च से देशभर में लागू LOCKDOWN ( FULL LOCKDOWN ) की वजह से सभी काम-धंधे बंद है। कई फैक्ट्रियों पर ताला पड़ चुका है जिसकी वजह से लोग अपने कर्मचारियों को सैलेरी देने में भी असमर्थ हैं लेकिन केंद्र और राज्य सरकारों द्रवारा कंपनियों द्वारा सैलेरी देने को लेकर आदेश जारी किये गए है। इस आदेश के बाद MSMEs सेक्टर की कंपनियों की हालत सबसे ज्यादा खराब है। कई कंपनियां ऐसी भी हैं, जो अपने कर्मचारियों को सैलरी नहीं दे पा रही हैं। जिसको लेकर कई जगहों पर हंगामा और मुकदमे दर्ज करने जैसी बातें सामने आईं थी। जिस पर अब सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court )ने बड़ा फैसला सुनाया है।

इसी मामले को लेकर लुधियाना हैंड टूल्स एसोसिएशन की ओर से दायर याचिका समेत कई अर्जियों पर सुनवाई करते हुए केंद्र और राज्य सरकारों को सैलेरी देने में असमर्थ कंपनियों पर किसी तरह की कार्यवाई न करने का आदेश दिया है। जस्टिस नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है।

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प्राइवेट कंपनियों ( PVT COMPANY ) ने अपनी अर्जी में सरकार का ये आदेश एकतरफा होने की बात कही थी साथ ही सरकार के फैसले से कंपनियों की वित्तीय सेहत पर पड़ने वाले असर को नजरंदाज करने का भी आरोप लगाया गया है।

आपको बता दें कि खुद प्रधानमंत्री मोदी ( PM MODI ) ने लॉकडाउन के दैरान कंपनियों से कर्मचारियों की सैलेरी ( SALARY ) न काटने की अपील की थी जिसके बाद गृहमंत्रालय ( MHA ) की तरफ से 29 मार्च को सर्कुलर जारी कर पूरी सैलेरी न देने की सूरत में कंपनियों पर कानूनी कार्यवाई की बात कही गई थी ।

देश में कोरोना की हालत की बात करें तो देश में अब तक पूरे देश में 82 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। ये हालत तब है जबकि सरकार ने मात्र 500 लोगों के कोरोना की खबर आने पर ही देशभर में लॉकडाउन घोषित कर दिया था । फिलहाल देश में तीसरे चरण का लॉकडाउन चल रहा है। जबकि 18 मई से चौथे चरण का लॉकडाउन शुरू होगा।

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