दिवाली पटाखों पर प्रतिबंध से शिवकाशी को नया झटका, 2020 में 800 करोड़ रुपए का नुकसान

पटाखा कारोबार से जुड़े 8 लाख कामगारों की पर पड़ा आजिविका का संकट
शिवकाशी में लगभग 3,500 करोड़ रुपए का है पटाखों का सालाना कारोबार

<p>Sivakasi loss of Rs 800 cr in 2020 due to ban on firecracker in Diwali</p>

नई दिल्ली। कई भारतीय शहरों में वायु प्रदूषण एक बड़ी चिंता के रूप में उभर रहा है, देश की आतिशबाजी की राजधानी शिवकाशी पहले से ही गर्मी का एहसास करा रही थी। इसके बाद कोविड-19 महामारी आई, जिसने लगभग दो महीने तक सख्त तालाबंदी की जिससे बड़ी शादियों और सार्वजनिक समारोहों को रोक दिया गया, एक प्रमुख बाजार के उद्योग को लूट लिया।

कई भारतीय शहरों में वायु प्रदूषण एक बड़ी चिंता के रूप में उभर रहा है, देश की आतिशबाजी की राजधानी शिवकाशी पहले से ही गर्मी का एहसास करा रही थी। जिसके बाद कोविड-19 महामारी आई, और दो महीने का दो महीने का सख्त लॉकडाउन लागू हुआ, जिसकी वजह से शादियों और सार्वजनिक समारोहों पर बैन लग गया। जिस कारण प्रमुख बाजार के उद्योग को खराब कर दिया।

जैसे ही अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हुई, शिवकाशी आतिशबाजी उद्योग ने कुछ राहत की उम्मीद करना शुरू कर दी थी, लेकिन महामारी के निरंतर खतरे ने सभी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है, जैसे गणेश चतुर्थी जैसे त्योहार बिना किसी धूमधाम के गुजर गया।

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अब, चल रहे त्योहारी सीजन पर रिवाइवल की उम्मीदें धूमिल होती दिख रही हैं। राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों जैसे राजस्थान और दिल्ली से कर्नाटक, ओडिशा और सिक्किम तक कोविड-19 के रोगियों के लिए किसी भी समस्या से बचने के लिए दिवाली और अन्य त्योहारों के दौरान पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, जो मुख्य रूप से श्वसन प्रणाली को प्रभावित करने के लिए जाना जाता है।

जानकारों की मानें तो इस फैसले से पटाखा उद्योग को इस साल अकेले 800 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हो सकता है। इसके अलावा 8 लाख कामगारों की आजीविका की संभावनाएं खतरे में हैं।

तमिलनाडु पटाखे और एमोरर्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (टैनामा) के अध्यक्ष गणेशन पंरुजन ने बताया कि इस साल हम 800 करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान लगा रहे हैं। दो महीने के लॉकडाउन और आदेशों की संख्या में गिरावट ने हमें बुरी तरह से चोट पहुंचाई है। तनफामा के अनुमान के अनुसार तमिलनाडु के विरुधुनगर जिले में स्थित, शिवकाशी में पटाखों का सालाना कारोबार लगभग 3,500 करोड़ रुपए का है।

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महामारी शुरू होने के बाद शिवकाशी निर्माताओं का कहना है कि पटाखों की मांग में 35 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है। उत्पादन इकाइयों को सोशल डिस्टेंसिंग का दिशानिर्देशों और लॉकडाउन के दौरान अपने घर जाने के कारण 100 फीसदी से कम लेबर फोर्स पर काम कर रही है। वो अभी तक काम पर नहीं लौटे हैं।

वकाशी स्थित भारतीय आतिशबाजी निर्माता संघ के महासचिव टी. कन्नन ने कहा गोवा, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्यों से इस साल गणेश चतुर्थी के दौरान कोई ऑर्डर ना मिलने के कारण बिक्री में गिरावट आई है। शादियों को रद्द कर दिया गया था, त्योहारों को प्रतिबंधित कर दिया गया था, मैन पॉवर कम हो गई है। जिनकी वजह से हमें काफी नुकसान हुआ है।

विरगो फायरवक्र्स के एस. उलगनाथन ने बताया पहले ग्रीन दिवाली के कांसेप्ट ने हमारी बिक्री को काफी प्रभावित किया। फिर महामारी आई, और पिछले वर्ष की तुलना में अब हमारे आदेशों में 30 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली है। उन्होंने बताया कि हम व्यवसाय चला रहे हैं और करोड़ों रुपए का निवेश किया है। इस साल हम 100 करोड़ रुपए के नुकसान लगा रहे हैं।

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तनफामा के गणेशन पंजुराजन के अनुसार, पटाखा प्रतिबंध लागू होने पर लगभग 8 लाख कर्मचारी प्रभावित होंगे। उन्होंने कहा कि दिल्ली, राजस्थान और गुजरात उन राज्यों ने भारत की गीन ट्रिब्यूनल अदालत के उस आदेश को लागू किया है हां पर वायु गुणवत्ता काफी खराब हो चुकी है। यह सभी राज्य कुल बिक्री में 20-25 फीसदी के करीब योगदान करते हैं।

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