PayTm, Zomato, Big Basket भी होंगे बैन, जानें क्यों उठ रही है Demand?

Social Media पर उन Indian Apps को Ban करने की उठ रही है मांग, जिन पर लगा है Chinese Companies का पैसा
PayTm, Zomato, Big Basket जैसे बड़े Startups में लगा हुआ है Tancents, Softbank, Alibaba जैसी कंपनियों का पैसा

<p>Paytm, Zomato, Big Basket will also be ban, know why there is demand?</p>

नई दिल्ली। चीनी ऐप्स को बैन करने के आदेश ( 59 Chinese Apps Banned in India ) के बाद सोशल मीडिया ( Social Media ) पर अब दूसरे तरह की डिमांड और बहस दोनों शुरू हो गई है। अब भारतीय उन इंडियन मोबाइल ऐप्स ( Indian Mobile Apps ) को भी बैन करने की डिमांड कर रहे हैं जिनमें चीनी इंवेस्टर्स ( Chinese Investors ) का रुपया लगा हुआ है। सोशल मीडिया पर तो इन ऐप्स के नाम तक खुलकर लिए ज रहे हैं। जिसमें पेटीएम ( Paytm ), जोमैटो ( Zomato ), बिग बास्केट ( Big Basket ) का नाम शामिल है। आपको बता दें कि देश से 59 चीनी एप को बैन इसलिए किया गया है क्योंकि उससे देश की सिक्योरिटी को बड़ा खतरा है।

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सोशल मीडिया पर शुरू हुई नई डिमांड
सोशल मीडिया पर अब लोग पेटीएम, बिग बास्केट, जोमेटो समेत दूसरे मोबाइल ऐप को भी बैन करने की मांग कर रहे हैं। सोशल मीडिया यूजर्य का कहना है कि अगर सरकार वाकई इस मामले में गभीर है तो चीन में निर्मित सभी तरह के हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर प्रतिबंध लगना काफी जरूरी है। ताकि चीन को बड़ा झटका दिया जा सके।

भारतीय लोगों का कहना है कि पेटीएम, बिग बास्केट व जोमैटो जैसी कंपनियों में चीन की कंपनी अलीबाबा का निवेश है। अलीबाबा कंपनी का ही यूसी ब्राउजर और यूसी वेब है। जब सरकार इन दोनों पर बैन लगा सकती है तो पेटीएम, बिग बास्केट और जोमैटो पर बैन क्यों नहीं लगना चाहिए।

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इन चीनी कंपनियों का बड़ा निवेश
चीन की सबसे बड़ी कंपनी अलीबाबा और आंट फाइनेंशियल का भारत की चार प्रमुख कंपनियों पेटीएम, स्नैपडील, बिगबास्केट और जोमैटो में 2.6 अरब यानी 18 हजार करोड़ रुपए का इंवेस्टमेंट है। वहीं टेनसेंट और दूसरी कंपनियों की ओर से ओला, स्विगी, हाइक, ड्रीम11 और बायजूस में 2.4 अरब डॉलर यानी 17 हजार करोड़ रुपए का निवेश है।

अगर बीते चार सालों की बात करें तो भ्रत के स्टार्टअप में चीनी कंपनियों के निवेश में करीब 12 गुना का इजाफा हुआ है। 2016 में भारतीय स्टार्टअप में चीन की कंपनियों का निवेश 38.1 लाख डॉलर यानी लगभग 2,800 करोड़ रुपए था, जो साल 2019 में बढ़कर 4.6 अरब डॉलर यानी लगभग 32 हजार करोड़ रुपए हो गया।

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