सरकार देगी बढ़ी हुर्इ मैटरनिटी लीव की आधी सैलरी, यह हो रहा है विचार

श्रम मंत्रालय ने संशोधन के बाद मैटरनिटी लीव में बढ़ाए गए 14 हफ्तों में से 7 हफ्ते की सैलरी कंपनियों को देने का प्रस्ताव दिया है।

<p>सरकार देगी बढ़ी हुर्इ मैटरनिटी लीव की आधी सैलरी, यह हो रहा है विचार</p>
नर्इ दिल्ली। सरकार द्वारा मैटरनिटी लीव की संख्या बढ़ाने के बाद महिलाआें के रोजगार एवं उनकी नौकरी को बनाए रखने की नर्इ योजना पर विचार करना शुरू कर दिया है। ताकि महिलाएं अपनी बिना नौकरी गंवाए उस समय को आराम से बिता सके। वास्तव में मैटरनिटी लीव की संख्या को बढ़ाने की घोषणा के बाद महिलाआें को कंपनियों के निकालने की सूचना मिल रही थी। जिससे महिलाआें को काफी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। आपको बता दें कि सरकार ने मैटरनिटी लीव को 12 हफ्ते से बढ़ाकर 26 हफ्ते किया गया था। आइए आपको भी बताते हैं कि इसे रोकने के लिए सरकार ने क्या योजना बना रहा है.…

इस योजना पर हो रहा है काम
इकनॉमिक टाइम्स की खबर की खबर के अनुसार श्रम मंत्रालय ने संशोधन के बाद मैटरनिटी लीव में बढ़ाए गए 14 हफ्तों में से 7 हफ्ते की सैलरी कंपनियों को देने का प्रस्ताव दिया है। यह रिइंबर्समेंट उन महिला कर्मचारियों के लिए होगा, जिनकी सैलरी 15,000 रुपए तक होगी और वे कम से कम 12 महीनों से ईपीएफओ की सदस्य हों। इस पॉलिसी को सबसे पहले दिल्ली और महाराष्ट्र में लागू करने की योजना बनार्इ जा रही है। वास्तव में प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना के तहत श्रम मंत्रालय अब मैटरनिटी लीव के 26 हफ्तों तक महिला कर्मचारियों की नौकरी बनाए रखने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन देने की योजना बना रही है। जिसमें मैटरनिटी लीव में बढ़े हुए 14 हफ्तों में से 7 हफ्ते की सैलरी सरकार द्वारा वहन की जाएगी। बाकी के 7 हफ्तों का खर्च कंपनी को खुद उठाना होगा।

श्रम मंत्री ने की बैठक
इकनॉमिक टाइम्स की खबर के अनुसार लेबर मिनिस्ट्री के सामने कर्इ एेसे मामले सामने आए जिनसे यह मालूम हुआ कि कि कैसे मैटरनिटी लीव महिला कर्मचारियों की हायरिंग में रोड़ा बन रही है। साथ ही किस तरह से मैटरनिटी लीव से ठीक पहले कंपनियां महिला कर्मचारियों को बाहर कर रही हैं। जिसके बाद श्रम मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने एक त्रिपक्षीय चर्चा की अध्यक्षता की। इसमें बात हुई कि कैसे मैटरनिटी लीव में बढ़ोतरी के बाद कंपनियों पर आए अतिरिक्त वित्तीय बोझ को वित्तीय प्रोत्साहन के जरिए कम किया जाए। इस मामले पर एक पॉलिसी को जल्द ही अंतिम रूप दिया जा सकता है।
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