ऑक्सीजन का संकट अब भी बरकरार

हफ्तेभर बाद भी नहीं बदले हालात, न मिल रह इंजेक्शन, न खाली बिस्तर

<p>ऑक्सीजन </p>
इंदौर. शहर में कोरोना संक्रमण के कारण हालात तमाम प्रयासों के काबू में होते नजर नहीं आ रहे हैं। एक सप्ताह बाद भी शहर के लगभग सभी अस्पताल अब भी संक्रमित मरीजों से भरे हुए हैं।
आम लोगों को इलाज के लिए खाली बिस्तर ढूंढने के लिए की जा रही मशक्कत अब भी जारी है। कहीं आइसीयू उपलब्ध नहीं है, तो कहीं पर ऑक्सीजन बेड नहीं मिल रहा हैं। अब भी शहर में कई अस्पताल ऐसे भी हैं, जो ऑक्सीजन की किल्लत की वजह से नए मरीजों को भर्ती नहीं कर रहे हैं।
रेमडेसिविर और टोसिलिजुमैब इंजेक्शन के साथ ही फैबिफ्लू टेबलेट के लिए भी मारामारी मचना शुरू हो गई है। गंभीर हालत में इलाज ले रहे मरीजों को लगने वाले ये इंजेक्शन व दवाई फिलहाल बाजार में उपलब्ध नहीं होने से कई गंभीर मरीजों की जिंदगी दांव पर लग गई है।
ऑक्सीजन: 135 टन तक पहुंची खपत
शहर में ऑक्सीजन की खपत एक सप्ताह में 100 टन से बढक़र 135 टन तक पहुंच गई है। लेकिन सप्लाई मांग के मुतबिक अब भी कम हो रही है। वहीं पीथमपुर सहित अन्य स्थानीय संयंत्रों को पूरी क्षमता के साथ 24 घंटे ऑक्सीजन उत्पादन के लिए चलाया जा रहा है। भिलाई, जामनगर सहित अन्य स्थानों से भी ऑक्सीजन बुलाई जा रही हैं। ऑक्सीजन वेस्ट नहीं जाए, इस पर अस्पताल भी काम कर रहे हैं।
दिनभर ढूंढने पर भी नहीं मिला बिस्तर
संगम नगर निवासी रमेश सोनी को गंभीर हालत में बेटियां बाफना हॉस्पिटल लेकर पहुंची लेकिन यहां सुबह तक सारे बिस्तर भर चुके थे। इस पर उन्हें किसी अन्य अस्पताल ले जाने के लिए कहा गया। यहां से वर्मा यूनियन अस्पताल ले गए तो वहां पर भी बिस्तर भरे होने के कारण इलाज नहीं मिला। फिर उन्हें एमटीएच अस्पताल ले जाया गया।
अस्पतालों में भी नहीं मिल रहे इंजेक्शन
रेमडेसिवर के साथ टोसिलिजुमैब नामक इंजेक्शन की कालाबाजारी थमने का नाम नहीं ले रही है। दोनों ही इंजेक्शन अस्पतालों में भी नहीं मिल रहे हैं। निजी अस्पतालों में भर्ती मरीज के परिजन अब भी इंजेक्शन की तलाश में जुटे हुए जबकि प्रशासन द्वारा प्रत्येक निजी अस्पताल को मांग के अनुरूप इंजेक्शन उपलब्ध करवाए जा रहे हैं।
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