संक्रांति पर्व नजदीक आने और पतंग उत्सव का सिलसिला शुरू होने के साथ ही इसकी बिक्री भी दिन पर दिन बढ़ रही है। पतंगबाजी के शौकीनों की पहली पसंद भी यह मांझा है। इस मांझे को लेने के पीछे सबसे पहला तर्क दिया जाता है कि यह आसमान में दूसरी पतंग को पलक झपकते ही काट देता है। देसी डोर और मांझा इसके सामने अधिक समय तक नहीं टिक पाता है।
बतौर शौक तो यह ठीक हैए लेकिन यह मांझा आमजन के लिए भी खतरा बना हुआ है। कई घटनाओं में देखा गया है कि पतंग कटने के बाद चाइनीज मांझा खुले में लटकता हैए कई बार इसकी चपेट में सडक़ पर चलने वाले बाइकर्स आ जाते हैं। यदि गाड़ी की स्पीड 40 किमी से अधिक हुई तो इसकी धार से बच पाना बहुत ही मुश्किल होता हैए गति कम होने पर यदि हाथ से मांझा एक तरफ करने की कोशिश की भी जाती है तो वह इतने में ही हाथ को रक्तरंजित कर देता है और कई बार इस कारण वाहन से गिरने व दुघर्टनाग्रस्त होने की घटनाएं होती हैं।
इसकी घातकता के मद्देनजर इस मांझे को बाजार में प्रतिबंधित किया गया थाए लेकिन अमल नहीं हो सका। न तो कुछ दुकानदारों ने चंद पैसों की लालच में इसकी बिक्री को बंद किया और न ही पुलिस व प्रशासन ने इसकी जब्ती पर सख्ती ही की। दिखावे के लिए जरूर कभी कभार निकाय अथवा पुलिस की टीम बरामदगी के लिए छापे की कार्रवाई करती हैए लेकिन अधिकतर उसके हाथ खाली ही रहते हैं। आवश्यक है कि संबंधित अधिकारी इसकी बिक्री पर प्रतिबंध सख्ती से लागू करवाएंए साथ ही दुकानदार लालच को छोड़ दें ताकि घटनाओं पर विराम लग सके।