इस प्रकरण में मंत्री उषा ठाकुर का नाम उछलने के बाद वन विभाग ने उच्च स्तरीय जांच शुरू की लेकिन, पांच दिन बीतने के बाद तक ये जांच पूरी नहीं हो सकी। मंत्री के खिलाफ आवेदन लिखने वाले वनपाल राम सुरेश दुबे का तबादला गुपचुप तरीके से 13 जनवरी को ही मानपुर के छपारिया वनक्षेत्र में कर दिया था। ये बात तब उजागर हुई जब दुबे की जगह चार्ज लेने डिप्टी रेंजर पवन जोशी पहुंच गए, मगर दुबे ने प्रभार छोडऩे से साफ इनकार कर दिया।
इसकी जानकारी लगने पर सीसीएफ चौक सिंह निनामा ने वनपाल दुबे को मुख्यालय बुलाया और जमकर नाराजगी जताई। बंद कमरे में करीब दो घंटे तक वे इस मामले में चुप्पी साधने के लिए समझाइश देते रहे। इस दौरान डीएफओ किरण बिसेन, एसडीओ राकेश लेहरी और रेंजर बीएस मौर्य भी कमरे में थे। सूत्रों के अनुसार सीसीएफ ने सख्त लहजे में कहा कि तुम्हारी इस हरकत से पूरा विभाग परेशानी में आ गया है। हमें ऊपर तक जवाब देने में दिक्कत आ रही है इसलिए बेहतर होगा कि तुम अपना मुंह बंद ही रखो।
नजरें बचाकर गाड़ी से भेजा महू
विभाग के कई कर्मचारी दुबे पर हुई कार्रवाई से नाराज हैं। उनका कहना है कि एक तरफ विभाग सभी पर समान रूप से कार्रवाई की बात कहता है और जब हम या हमारे साथी कार्रवाई करते हैं तो अधिकारी मामला दबाने में जुट जाते हैं। वनपाल दुबे को बंद कमरे में बुलाकर चर्चा किए जाने की जानकारी के बाद विभाग के ही कुछ कर्मचारी नेता सक्रिय हो गए। वे दुबे से न मिल पाएं इसलिए सभी की नजरों से बचाते हुए दुबे को गाड़ी में बैठाकर महू भिजवा दिया गया। दिनभर दुबे का मोबाइल भी बंद रहा। सीसीएफ चौक सिंह निनामा ने बताया कि प्रकरण के मामले में जानकारी लेने के लिए वनपाल को बुलाया था। हमने उस पर किसी तरह का दबाव नहीं बनाया। सारे आरोप निराधार हैं।