ऑनलाइन क्लास से दूर हो रहे छात्र

विभागों को सता रही कोर्स पूरा कराने की चिंता, अगले प्लेसमेंट पर पड़ेगा असर

<p>ऑनलाइन क्लास से दूर हो रहे छात्र</p>
इंदौर. लगातार दूसरे साल ऑनलाइन कक्षाओं के जरिए पढ़ाई अब कॉलेज व यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों के लिए उबाऊ साबित होने लगी हैं। नए सेमेस्टर की शुरुआत होने पर उम्मीद थी कि पिछली बार की तरह उत्साह दिखेगा लेकिन, बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं इन कक्षाएं से दूरी बनाए हुए है। विवि के विभागों को एक ओर जहां कोर्स पूरा करने की चिंता सताने लगी है वहीं, ऑनलाइन क्लास में कम उपस्थिति से अगले प्लेसमेंट भी प्रभावित होने के आसार बनने लगे है।
पिछले साल मार्च में लगे लॉकडाउन के बाद से पढ़ाई ऑनलाइन मोड पर ही चल रही है। कॉलेजों की तुलना में यूनिवर्सिटी के विभागों में संचालित कोर्स की ऑनलाइन कक्षाओं में ८०-८० फीसदी तक उपस्थिति रही थी। सेमेस्टर की परीक्षा घर बैठे देने के बाद कक्षाओं में उपस्थित नहीं रहने वाले छात्र-छात्राएं भी पास हो गए। इसका परिणाम यह हुआ कि अब उपस्थिति के नाम पर गिनती के विद्यार्थी ही ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल हो रहे है। आईएमएस, आईआईपीएस, आईईटी जैसे बड़े विभागों को छोड़ दिया जाएं तो बाकि विभागों की हालत बहुत खराब है। वहां मुश्किल से हर कक्षा में ५० फीसदी तक की उपस्थिति दर्ज हो जाती है। अब इन विभागों के सामने अगली परीक्षा तक सभी का कोर्स पूरा कराने की चुनौती खड़ी हो गई है। फैकल्टी भी छात्रों से लगातार संपर्क कर उन्हें ऑनलाइन कक्षाएं उपस्थित करने और नोट्स बनाने के लिए कह रहे है। मगर, इसका कोई खास असर नजर नहीं आ रहा। लगातार अनुपस्थित रहने वाले विद्यार्थी कभी नेटवर्क की समस्या तो कभी मोबाइल, कम्प्यूटर खराब होने का बहाना बना रहे है।
अनिवार्यता खत्म करने का असर
ऑनलाइन क्लास में दिनोंदिन घट रही उपस्थिति की बड़ी वजह परीक्षा में शामिल होने के लिए उपस्थिति की अनिवार्यता खत्म करना है। दरअसल, पिछले साल कोरोना संक्रमण के कारण शासन ने उपस्थिति की अनिवार्यता खत्म कर दी थी। इससे पहले तक परीक्षा में शामिल होने के लिए न्यूनतम ७५ फीसदी उपस्थिति अनिवार्य थी। इतना ही नहीं, स्कॉलरशिप और शासन की अन्य योजनाओं का लाभ भी सिर्फ उन्हीं विद्यार्थियों को मिलता था जिनकी कम से कम 75 फीसदी उपस्थिति है।
प्लेसमेंट में होगा नुकसान
दो साल तक गंभीरता से पढ़ाई नहीं करने वालों को प्लेसमेंट में खासा नुकसान उठाना पड़ सकता है। कंपनियां डिग्री की जगह काबिलियत परखती है। आईएमएस के प्लेसमेंट ऑफिसर अवनीश व्यास बताते हंै कि नियमित क्लास अटैंड करने से न सिर्फ संबंधित विषय की जानकारी मिलती है बल्कि ग्रुप स्टडी के जरिए अपनी स्थिति का आकलन भी लग जाता है। प्लेसमेंट के लिए आने वाली कंपनियां ऐसे लोग चाहती हैं जो हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहे। सिर्फ डिग्री लेने वालों को इसका नुकसान उठाना ही पड़ेगा।
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