पाकिस्तान पर हमला कर 15 दिन में नया देश खड़ा कर दिया

स्वर्णिम विजय वर्ष मशाल यात्रा सोमवार सुबह मॉल रोड स्थित श्रीराम मंदिर से शुरू हुई। ड्रीमलेंड होते हुए आर्मी एरिया में घूमी। करीब दो घंटे तक यात्रा पूरे आर्मी क्षेत्र में घूमते हुए इंफेंट्री स्कूल परिसर में पहुंची। यहां भव्य कार्यक्रम आयोजित हुआ। इस दौरान स्क्रीन पर वर्ष 1971 में हुए युद्ध की झलकियां भी दिखाई गई। इस दौरान दो रिटायर्ड लेफ्टिनेट जनरलों व एक स्वर्गीय लेफ्टिनेट जनरल की पत्नी का सम्मान किया गया।

<p>पाकिस्तान पर हमला कर 15 दिन में नया देश खड़ा कर दिया</p>
डॉ. आंबेडकर नगर(महू).
सोमवार सुबह करीब 8.30 बजे मॉल रोड स्थित श्रीराम मंदिर से स्वर्णिम विजय वर्ष मशालयात्रा शुरू हुई। इस दौरान यात्रा की अगवानी करते हुए पूरे रास्तेभर एनसीसी कैडे्टस हाथों में तिरंग लिए हुए खड़े रहे। यात्रा में सबसे आगे दो जवान बुलट पर चल रहे थे। जिसके पीछे साइकिल सवार आर्मी के जवान, इसके बाद पुष्पमालाओं से सजी हुई मशाल की गाड़ी, एक अन्य और एक गाड़ी देशभक्ति से ओतप्रोत गाने बजाते हुए चल रही थी। यात्रा दो घंटे तक पूरे आर्मी क्षेत्र में घूमी। 1971 की लड़ाई में हिस्सा ले चुके लेफ्टिनेंट ने अपने अनुभव भी शेयर करते हुए कहा कि आपने कहीं देखा है कि 15 दिन में हमला करके एक नया देश खड़ा कर दिया। 3 दिसंबर को लड़ाई श्ुारू हुई थी और 16 दिसंबर को उन्होनें सरेंडर कर दिया।
युद्ध में शामिल लेफिटनेंट जनरल का सम्मान

यात्रा के आगे-आगे कोतवाली टीआई रास्ते से लोगों हटाते हुए चल रहे थे। करीब दो घंटे के बाद यात्रा इंफें्रटी स्कूल परिसर पहुंची। यहां पर सोम हॉल में कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें सबसे पहले मशाल को मंच पर रखा गया। जिसके बाद रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल विजय मदान, लेफ्टिनेंट जनरल शेर अमीर सिंह ने मंच से मशाल की अगवानी की। इस दौरान इन दोनों लेफ्टिनेंट के साथ ही एक स्वर्गीय लेफ्टिनेंट की पत्नी का भी सम्मान किया गया।
हमला कर 15 दिन में नया देश खड़ा कर दिया

कार्यक्रम के अंत में लेफ्टिनेंट कर्नल शेर अमीरसिंह से चर्चा की गई। उन्होंने बताया कि 1971 की लगाई में मैजर था। जब पाकिस्तान ने सरेंडर किया तो पाकिस्तानी अफसरों ने हमने कहा कि अगर हमारी फौज में हिंदुस्तानी फौज जैसे अफसर होते तो कहानी कुछ और होती। इस जीत को उतनी महत्वता नहीं दी गई जितनी देना चाहिए थी। आपने कहीं देखा है कि 15 दिन में हमला करके एक नया देश खड़ा कर दिया। 3 दिसंबर को लड़ाई श्ुारू हुई थी और 16 दिसंबर को उन्होनें सरेंडर कर दिया। मिलेट्री के अंदर आपकों कहीं ऐसी मिशाल नहीं मिलेगी। दुनिया के साथ ही हमने भी इसकी महत्वता को नहीं समझा। ऐसी लड़ाई कभी नहीं होगी और नाहि कभी इस तरह की जीत होगी।
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