लाइसेंस लेने की प्रक्रिया तो आरंभ की पर जटिल नियमों के कारण चंद को ही मिलने की उम्मीद

-सभी प्रकार की खाद्य सामग्री की दुकानों के लिए कैंटबोर्ड ने लाइसेंस की अनिवार्यता की, आॅनलाइन आए 26 में से 21 आवेदन वापस किए

<p>लाइसेंस लेने की प्रक्रिया तो आरंभ की पर जटिल नियमों के कारण चंद को ही मिलने की उम्मीद</p>


डाॅ. आंबेडकरनगर महू. छावनी परिषद क्षेत्र में सभी प्रकार की खाद्य व पेय पदार्थ की दुकानों, रेस्टोरेंट, होटल आदि के लिए कैंटबोर्ड से लाइसेंस लेकर ही व्यापार करना होगा। जिसके लिए छावनी परिषद को ओर से आॅनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू हो गई है, हालांकि नामांतरण की तरह इसमें भी जटिल नियम होने से चंद व्यापारियों को ही लाइसेंस मिलने की उम्मीद है।
बेकरी, किराना दुकान, होटल, रेस्टोरेंट, ज्यूस सेंटर, टी-स्टाॅल, सब्जी-फल दुकान आदि व्यवसाय के लिए कैंटबोर्ड से लाइसेंस लेना अनिवार्य किया गया है। जिसके लिए कैंटबोर्ड की वेबसाइट पर आॅनलाइन आवेदन किए जा रहे हैं। अभी 26 दुकानदारों ने आॅनलाइन आवेदन किए लेकिन करीब 21 के दस्तावेज पूर्ण नहीं होने व शर्तों के दायरे में नहीं आने के कारण उनके आवेदन वापस कर दिए गए। केवल पांच ही आवेदन स्वीकार किए गए। हालांकि अभी लाइसेंस किसी को जारी नहीं किया है। कैंटबोर्ड राजस्व प्रभारी मुकेश प्रजापति ने बताया संभवतः अगले माह से लाइसेंस को अनिवार्य कर दिया जाएगा और जिनके पास लाइसेंस नहीं होगा उन पर कार्रवाई भी की जा सकती है। जारी किए गए लाइसेंस को हर साल रिन्यू करना होगा। साथ ही बताया ये नियम तो पहले से है लेकिन अब इसको अमल में लाने के लिए आगे से निर्देश प्राप्त हुए हैं।
सबसे अधिक 20 हजार रूपए की लाइसेंस फीस शराब दुकान की
अलग-अलग प्रकार के कारोबार के लिए अलग-अलग लाइसेंस फीस निर्धारित की गई है। जिसमें सबसे अधिक 20 हजार रूपए प्रतिवर्ष की लाइसेंस फीस शराब दुकानों के लिए है। सबसे कम लाइसेंस फीस 350 रूपए है, जिसमें विभिन्न प्रकार की खाद्य सामग्री से जुड़े कारोबार हैं।
नामांतरण की प्रक्रिया के समान नियम, इसलिए आएगी दिक्कत
लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया में नामांतरण के समान ही नियम हैं। यानी चेंस आॅफ परपस नहीं होना चाहिए, मसलन यदि आवासीय भवन में दुकान है तो लाइसेंस नहीं मिलेगा, अतिक्रमण व पारटिशन आदि नहीं होना चाहिए। खास बात है कि कैंटबोर्ड क्षेत्र में 250 से 300 ऐसी दुकानें हैं और अधिकांश में चेंज आॅफ परपस की स्थिति है। ऐसे में दस से बीस प्रतिशत को ही लाइसेंस मिलने की उम्मीद है। साथ ही ऐसे में उलझन भी रहेगी कि दुकानदार लाइसेंस फीस चुकाने को भी तैयार है लेकिन लाइसेंस के अभाव में उस पर भी कार्रवाई की तलवार लटकेगी।
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