पुलिस ने वन विभाग से जुड़े विशेषज्ञों से खाल की जांच कराई तो वह असली और पुरानी बताई गई। आरोपियों से जो खाल व कुछए बरामद हुए वह तांत्रिक क्रियाओं में इस्तेमाल होते हैं। आरोपी इस तरह का काम करने वाले लोगों को बेचने के लिए घूम रहे थे। कछुओं की कीमत करीब 10 लाख रुपए आंकी गई है। आइजी के मुतबिक, इस तरह के कछुओ के नाखूनों का इस्तेमाल सेक्स क्षमता बढ़ाने वाली दवाओं में होता है।
एएसपी राजेश रघुवंशी व सीएसपी अनिलसिंह राठौर ने पूछताछ की तो पता चला कि आरोपी प्रकाश नरसिंहपुर में रहने वाले शैलेंद्र अग्रवाल से यह खाल लाया था। उसका कहना है कि वह शैलेंद्र के यहां काम करता है, बाघ की खाल उनकी पुश्तैनी खाल है और बेचने के लिए उसे दी थी। हालांकि पुलिस का कहना है कि शैलेंद्र पहले भी इस तरह के मामलों में पकड़ा चुका है। जिस बाघ की खाल मिली अनुमान लगाया जा रहा है कि वह करीब 10 फीट का होगा। पुलिस ने वन्य प्राणी का शिकारी अधिनियम व धारा 39 प्राणी सरकार की संपत्ति होना के तहत केस दर्ज किया है।