चंडीगढ़। एक तरफ जहां हरियाणा में महिला उत्पीडऩ की घटनाओं में लगातार वृद्धि हो रही है वहीं आश्चर्यजनक घटनाक्रम यह भी सामने आया है कि इनमें से बहुत सी घटनाएं सच्चाई से कोसों दूर रही हैं। हरियाणा पुलिस ने महज चार माह के भीतर महिला उत्पीडऩ से संबंधित करीब पांच सौ केसों को रद्द किया है। इनमें से अधिकतर केस ऐसे रहे हैं जिनमें शिकायतकर्ता अपने बयानों से पीछे हटती रही हैं। हालांकि इस केसों को रद्द किए जाने के पीछे कई तरह के तर्क दिए जा रहे हैं। इसके बावजूद गृह विभाग एवं पुलिस विभाग की यह कार्रवाई प्रदेश में चर्चा का विषय है। हरियाणा पुलिस ने राज्य के विभिन्न पुलिस थानों में 26 अक्तूबर 2014 से लेकर 20 फरवरी 2015 तक की अवधि के दौरान महिला उत्पीडऩ के 2715 केस दर्ज किए गए। जिनमें सबसे अधिक 1024 केस दहेज उत्पीडऩ से संबंधित थे। इसके महिलाओं व लड़कियों के अपहरण से संबंधित 621 केस दर्ज किए गए। इसके अलावा इस अवधि के दौरान बलात्कार के 330, महिलाओं व युवतियों से छेड़छाड़ के 271, यौन उत्पीडऩ के 169 केस दर्ज किए गए हैं। पुलिस द्वारा पेश की गई रिपोर्ट के अनुसार इस अवधि के दौरान दर्ज किए गए 2715 केसों में से 498 केस खारिज कर दिए गए। इनमें सबसे अधिक केस महिलाओं व लड़कियों के अपहरण से संबंधित हैं। पुलिस ने महज चार माह के भीतर कुल दर्ज किए गए 621 केसों में से 198 केस खारिज किए गए हैं। इनमें से अधिकतर केसों में शिकायतकर्ता या तो बयानों से पीछे हट गई या फिर कथित तौर पर दबाव के चलते पीछे हट गई।इस अवधि के दौरान पुलिस ने प्रदेश में दहेत उत्पीडऩ की कुल 1024 में से 180 शिकायतों को फर्जी पाया और केस रद्द कर दिए गए। सूत्रों की मानें तो इनमें से कई मामले ऐसे मिले जिनमें परिवारिक रंजिश के चलते ऐसे लोगों के नाम भी लिखवाए गए जिनका केस से कोई संबंध नहीं था। यही नहीं महिला उत्पीडऩ की श्रेणी में सर्वाधिक चर्चित रहे बलात्कार के कुल 330 केसों में 32 केस फर्जी पाए गए। पुलिस ने इन केसों को खारिज कर दिया गया। इसके अलावा पुलिस ने इस दौरान छेड़छाड़ के 37 केस रद्द किए हैं। गृह विभाग ने इस अवधि के दौरान रद्द किए गए केसों में साफ लिखा है कि असत्य पाए जाने के कारण इन केसों को रद्द किया गया है। कई आश्चर्यजनक मामले भी हुए दर्ज पुलिस रिकार्ड के अनुसार इस अवधि के दौरान भारतीय दंड संहिता की धारा 354-ए,बी, सी व डी के तहत भी मामले दर्ज किए गए। पुलिस ने यौन उत्पीडऩ के अलावा महिलाओं व युवतियों के जबरन कपड़े उतारने के आरोप में 66 मामले, महिलाओं को आपत्तिजनक तरीके से छिपकर देखने के आरोप में 7 तथा महिलाओं का पीछा करने के आरोप में 93 मामले दर्ज किए। हालांकि बाद में इनमें से क्रमश: 10, शून्य व 10 मामले रद्द भी कर दिए गए।