शुक्रवार के दिन शरद पूर्णिमा का पड़ना शुभ
देवी मां लक्ष्मी का दिन शुक्रवार होता है। ऐसे में शरद पूर्णिमा का इसी दिन पड़ना अत्यन्त शुभ माना गया है। पंडित रवि दुबे के अनुसार करीब 7 साल बाद ऐसा संयोग बन रहा है जब लक्ष्मी देवी का व्रत शुक्रवार के दिन पड़ रहा है। इससे व्रत का लाभ दोगुना मिलेगा। इससे पहले ऐसा दुर्लभ संयोग साल 2013 में बना था। इसके बाद अब ऐसा मौका 13 साल बाद यानी 7 अक्टूबर 2033 को पड़ेगा।
देवी मां लक्ष्मी का दिन शुक्रवार होता है। ऐसे में शरद पूर्णिमा का इसी दिन पड़ना अत्यन्त शुभ माना गया है। पंडित रवि दुबे के अनुसार करीब 7 साल बाद ऐसा संयोग बन रहा है जब लक्ष्मी देवी का व्रत शुक्रवार के दिन पड़ रहा है। इससे व्रत का लाभ दोगुना मिलेगा। इससे पहले ऐसा दुर्लभ संयोग साल 2013 में बना था। इसके बाद अब ऐसा मौका 13 साल बाद यानी 7 अक्टूबर 2033 को पड़ेगा।
शुभ योग में चंद्रमा का उदय
इस बार शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय बेहद शुभ समय पर हो रहा है। उस वक्त सर्वार्थसिद्धि और लक्ष्मी योग बन रहा है, जिससे लक्ष्मी पूजा का महत्व और अधिक बढ़ जाएगा। इसलिए इस शरद पूर्णिमा देवी मां को खीर का भोग लगाने और लाल गुलाब के पुष्प अर्पित करने से मनोकामानाओं की पूर्ति होगी।
इस बार शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय बेहद शुभ समय पर हो रहा है। उस वक्त सर्वार्थसिद्धि और लक्ष्मी योग बन रहा है, जिससे लक्ष्मी पूजा का महत्व और अधिक बढ़ जाएगा। इसलिए इस शरद पूर्णिमा देवी मां को खीर का भोग लगाने और लाल गुलाब के पुष्प अर्पित करने से मनोकामानाओं की पूर्ति होगी।
4 राजयोग से बनेगी बात
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार शरद पूर्णिमा पर लक्ष्मी, शंख, महाभाग्य और शश नाम के 4 राजयोग योग बन रहे हैं। इससे मां लक्ष्मी की दोगुना कृपा प्राप्त होगी। इस दिन अगर कोई नए काम की शुरुआत की जाए तो सफलता की ज्यादा संभावना रहेगी।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार शरद पूर्णिमा पर लक्ष्मी, शंख, महाभाग्य और शश नाम के 4 राजयोग योग बन रहे हैं। इससे मां लक्ष्मी की दोगुना कृपा प्राप्त होगी। इस दिन अगर कोई नए काम की शुरुआत की जाए तो सफलता की ज्यादा संभावना रहेगी।
अपनी राशि में ग्रहों का होना
ज्योतिषविदों का मानना है कि जब ग्रह अपनी राशि में होते हैं तो शुभ फल देते हैं। ऐसे में शरद पर्णिमा पर बृहस्पति और शनि ग्रह अपनी-अपनी राशियों में विराजमान हैं। जिन्हें एक शुभ संकेत माना जा रहा है।
ज्योतिषविदों का मानना है कि जब ग्रह अपनी राशि में होते हैं तो शुभ फल देते हैं। ऐसे में शरद पर्णिमा पर बृहस्पति और शनि ग्रह अपनी-अपनी राशियों में विराजमान हैं। जिन्हें एक शुभ संकेत माना जा रहा है।
शुभ मुहूर्त पर करें दान
अश्विन महीने की पूर्णिमा तिथि 30 अक्टूबर को शाम करीब पौने 6 बजे से शुरू होगी जो रातभर रहेगी। इसलिए शुक्रवार की रात को शरद पूर्णिमा पर्व मनाया जाएगा। पूर्णिमा तिथि अगले दिन यानी 31 अक्टूबर को रात करीब 8 बजे खत्म होगी। इसलिए इस दौरान दान—पुणय करना शुभ रहेगा। इससे व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होंगे।
अश्विन महीने की पूर्णिमा तिथि 30 अक्टूबर को शाम करीब पौने 6 बजे से शुरू होगी जो रातभर रहेगी। इसलिए शुक्रवार की रात को शरद पूर्णिमा पर्व मनाया जाएगा। पूर्णिमा तिथि अगले दिन यानी 31 अक्टूबर को रात करीब 8 बजे खत्म होगी। इसलिए इस दौरान दान—पुणय करना शुभ रहेगा। इससे व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होंगे।