लड़के और लड़कियों के दिमाग में होता है यह खास अंतर! जान कर हैरान हो जाएंगे आप

नई रिसर्च से लड़के और लड़कियों के दिमाग को लेकर हुआ बड़ा खुलासा

लंबे समय से यह धारणा बनी हुई है कि लडक़ों की तुलना में लड़कियों का दिमाग गणित और तकनीकी विषयों में उस तरह प्रतिक्रिया नहीं करता जैसा लडक़ों का। इस धाारणा को १९९२ की उस घटना से भी समझा जा सकता है जब बार्बी डॉल कंपनी की ओर से एक बोलने वाली किशोर बार्बी स्टूडेंट डॉल प्रस्तुत की गई थी। बार्बी की इस सीरीज का विरोध भी हुआ था क्योंकि यह बोलती थी कि गणित बहुत ही जटिल विषय है। यह अंतर्निहित धारणा एक तरह से यह प्रचारित करती हैं कि महिलाएं गणित में इसलिए पिछड़ जाती हैं क्योंकि जैविक रूप से उनमें इसे समझने की योग्यता कम होती है। इसलिए वे विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीइएम) विषयों के बुद्धि परीक्षण में अक्सर लडक़ों से पीछे रह जाती हैं।
लेकिन हाल ही कार्नेगी मेलन विश्वविद्यालय (सीएमयू) की शोधकर्ता जेसिका कैंटन और उनकी टीम ने इस धारणा पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। शोध दल ने युवा लडक़े-लड़कियों के मस्तिष्क के विकास की व्यापक जांच की। उनके शोध के अनुसार उम्र बढऩे के साथ लडक़े-लड़कियों में मस्तिष्क के कार्य करने और गणित संबंधी उनकी क्षमता में कोई अंतर नहीं पाया गया। साइंस ऑफ लर्निंग में इसी महीने प्रकाशित इस शोध के परिणाम ऑनलाइन उपलब्ध हैं।
शोध के प्रमुख लेखकों और सीएमयू के विकासात्मक तंत्रिका विज्ञान के प्रोफेसर रोनाल्ड जे. और मैरी एन. जद्रोज्कोव्स्की का कहना है कि विज्ञान लोक मान्यताओं पर नहीं चलता। बच्चों के दिमाग समान रूप से अपने जेंडर की परवाह किए बिना काम करते हैं। इसलिए उम्मीद की जा सकती है कि हम स्टेम विषयों में लड़कियों के प्रदर्शन को और बेहतर कर सकते हैं।
पहला न्यूरोइमेजिंग अध्ययन
कैंटन और उनकी टीम ने छोटे बच्चों के गणित के दृष्टिकोण में जैविक ***** अंतर (बायोलॉजिकल जेंडर डिफरेंसेज) का मूल्यांकन करने के लिए अपनी तरह का पहला न्यूरोइमेजिंग अध्ययन किया। टीम ने ३ से १० साल के 104 बच्चों में 55 लड़कियों की मस्तिष्क गतिविधि को मापने के लिए कार्यात्मक एमआरआई का उपयोग किया। उन्होंने लड़कियों को शुरुआती गणित विषयों को कवर करते हुए गिनती और जोड़ जैसे सामान्य वीडियो भी दिखाए।
शोधकर्ताओं ने मस्तिष्क की समानता का मूल्यांकन करने के लिए लडक़ों और लड़कियों के स्कैन की तुलना की। इसके अलावाए टीम ने वयस्कों के एक समूह (63 वयस्क व 25 महिलाओं) से बच्चों के स्कैन की तुलना करके मस्तिष्क की परिपक्वता की जांच की। इन्होंने भी समान वीडियो देखा था।
कई सांख्यिकीय तुलनाओं के बाद कैंटन और उनकी टीम को लड़कियों और लडक़ों के मस्तिष्क के विकास में कोई अंतर नहीं मिला। इसके अलावा, शोधकर्ताओं ने यह भी जाना कि अपने गधितीय कौशल को लडक़े और लड़कियों ने कैसे संसाधित किया। अंत में, लडक़ों और लड़कियों की मस्तिष्क की परिपक्वता सांख्यिकीय रूप से वयस्क समूह में पुरुषों या महिलाओं की तुलना में एक समान ही निकली।
कैंटन का यह भी कहना है कि शोध केवल यह दिखाने के लिए नहीं किया गया था कि लडक़े-लड़कियों का दिमाग एक जैसी ही प्रतिक्रिया देता है बल्कि यह समानता पूरे मस्तिष्क में स्पष्ट थी। शिकागो विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग का कहना है कि की एलिसा कर्सी और शोध की पहली लेखक ने कहा कि यह इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह स्पष्ट करता है कि मनुष्य अंतर की बजाय दरअसल एक-दूसरे से समानता ज्यादा रखते हैं।
कैंटन ने यह भी कहा कि उन्हें लगता है कि समाज और संस्कृति भी यही चाहते हैं कि लड़कियां और युवा महिलाएं गणित और एसटीईएम क्षेत्रों से दूर रहें। पूर्व के कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि परिवार युवा लडक़ों के साथ खेलने में अधिक समय बिताते हैं जिसमें वे उन्हें बहुत कुछ सिखाते हैं। कई शिक्षक भी गणित की कक्षाओं में लडक़ों के साथ अधिक समय बिताते हैं।
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