जब पाकिस्तान (Pakistan) भारत का बंटवारा हुआ, उस समय पाकिस्तान (Pakistan) में बड़े पैमाने पर हिंदू मंदिर थे लेकिन उनमें से ज्यादातर अब काफी खराब स्थिति में हैं। पूदे देश में कुछ ही मंदिर ( mandir)जहां पूजा होती है। इस्लामाबाद में पहला हिंदू मंदिर बनने की तैयारी हो रही थी लेकिन लोग इसका विरोध कर रहे हैं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान (Pakistan) बनने के बाद वहां केवल दो हिंदू मंदिर बने हैं। भारत से अलग हुए पाकिस्तान 73 साल हो गए हैं लेकिन इतने सालों के बीच वहां एक भी नए मंदिर नहीं बन पाए इतना ही नहीं जो पहले से जो मंदिर अच्छे हालात में थे वो भी अब खस्ता हालात में पड़े हैं।
पाकिस्तान बंटवारे बाद से ही वहां मजहबी घृणा चरम पर थी। साल 1992 को जब अयोध्या में बाबरी ढांचे का ध्वंस (Demolition of the Babri Masjid) हुआ तो Pakistan में करीब 1000 हिंदू मंदिरों को निशाना बनाया गया था।
आल पकिस्तान हिंदू राइट्स कमेटी ने पिछले दिनों वहां के मंदिरों का सर्वे किया था। इस सर्वे के मुताबिक Pakistan में अब कुल 428 हिंदू मंदिर बचे हैं, जिसमें 20 सही हालत में हैं, जहां अब भी पूजा अर्चना होती है।
साल 2000 के बाद International Society for Krishna Consciousness यानि इस्कॉन ने(iskcon in paistan) पाकिस्तान सरकार से बातचीत करके मंदिर बनाने का काम शुरू किया था। इसके चलते इस्कॉन ने वहां दो बड़े हिंदू मंदिर बनाए। हालांकि इस निर्माण में भी बहुत विरोध हुआ था लेकिन जैसे-तैसे करके मंदिर बन गया।
इस्कान द्वारा क्वेटा में बनाया गया श्री श्री राधा राधानाथ मंदिर भवन (Sri Sri Radha Radhanath Temple in pakistan) और कराची में इस्कान का राधा गोपीनाथ मंदिर. हालांकि वर्ष 2000 के बाद कराची स्थित स्वामिनारायण संप्रदाय के मंदिर ने अपने मंदिर का भवन का विस्तार किया।
बता दें इस्कॉन (Iskcon) का पाकिस्तान में पहला मंदिर क्वेटा में साल 2007 में बनकर तैयार हुआ। इस मंदिर के लिए पाकिस्तान सरकार ने ही इस्कॉन को जमीन उपलब्ध कराई थी। इसके बाद इस्कॉन ने जब कराची में मंदिर खोला तब भी पाक सरकार ने मदद लेकिन इन दोनों मंदिरों को बनाने में लगा खर्च पाकिस्तान में रहने वाले हिंदुओं और इस्कॉन ने उठाया था। पाक सरकार ने आर्थिक तौर पर कोई मदद नहीं की थी।