Navratri Kanya Pujan 2020 Date & Time
Navratri Kumari Puja Date: Saturday, October 24, 2020
Ashtami Tithi Ends – 06:58 AM on October 24, 2020
Navami Tithi Begins – 06:58 AM on October 24, 2020
Navami Tithi Ends – 07:41 AM on October 25, 2020
Navratri Kumari Puja Date: Saturday, October 24, 2020
Ashtami Tithi Ends – 06:58 AM on October 24, 2020
Navami Tithi Begins – 06:58 AM on October 24, 2020
Navami Tithi Ends – 07:41 AM on October 25, 2020
Read More: नवरात्रि के अचूक मंत्र: इन चमत्कारिक मंत्रों के जाप की विधि, जिससे मनोकामना हो पूरी
कन्या पूजन विधिनवरात्रि कन्या पूजन या कुमारी पूजा, नौ दिनों तक दुर्गा पूजा उत्सव के दौरान किए जाने वाले महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक है। इस वर्ष कुमारी पूजा या नवरात्रि कन्या पूजा 24 अक्टूबर, 2020 को की जाएगी। यज्ञ करने के बाद व्रतियों को कन्या रूपी देवी को भोजन कराने की मान्यता है। इसके बाद उसे उपहार देना चाहिए। कंजक पूजन के बाद देवी भगवती का अपने परिवार के साथ ध्यान करें। मां भगवती से सुख-समृद्धि की कामना करें। इसके बाद ‘या देवी सर्वभूतेषु शांति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:’ मंत्र का ग्यारह बार जाप करें।
Read More: नवरात्रि 2020 : यहां गिरी थी सती की नाभी, ये है महाकाली की पीठ
परंपरा के अनुसार, नवरात्रि कुमारी पूजा अनुष्ठानों के लिए दो से तीन साल की उम्र की लड़कियां उपयुक्त हैं। ये लड़कियां दुर्गा के विभिन्न रूपों का प्रतिनिधित्व करती हैं, अर्थात् कुमारिका
त्रिमूर्ति
कल्याणी
रोहिणी
काली
चंडिका
शाम्भवी
दुर्गा
भद्रा या सुभद्रा कुमारी पूजा के दौरान, प्रत्येक लड़की को समर्पित मंत्र के साथ पूजा जाता है। कन्या पूजन के दौरान कन्याओं को भोजन, वस्त्र और दक्षिणा (पैसा) दी जाती है। मां इन कन्याओं के माध्यम से ही अपना पूजन स्वीकार करती हैं। इन कन्याओं के साथ दो बटुक कुमारों- गणेश और भैरव को भी भोजन कराना चाहिए। इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। कन्याओं को हलवा, छोले,पूरी आदि के साथ कोई फल अवश्य दें। 10 वर्ष से अधिक की कन्या नहीं होनी चाहिए।
त्रिमूर्ति
कल्याणी
रोहिणी
काली
चंडिका
शाम्भवी
दुर्गा
भद्रा या सुभद्रा कुमारी पूजा के दौरान, प्रत्येक लड़की को समर्पित मंत्र के साथ पूजा जाता है। कन्या पूजन के दौरान कन्याओं को भोजन, वस्त्र और दक्षिणा (पैसा) दी जाती है। मां इन कन्याओं के माध्यम से ही अपना पूजन स्वीकार करती हैं। इन कन्याओं के साथ दो बटुक कुमारों- गणेश और भैरव को भी भोजन कराना चाहिए। इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। कन्याओं को हलवा, छोले,पूरी आदि के साथ कोई फल अवश्य दें। 10 वर्ष से अधिक की कन्या नहीं होनी चाहिए।