Lockdown: लड़की बनकर स्कूटी से घूम रहा था शख्स, पुलिस ने किया ऐसा हाल इस बारे में सोच कर ही मन विचलित हो जाता है ना मगर आज हम आपको बताने वाले हैं एक ऐसे शख़्स की कहानी जो बरसों से अकेला ही जीवन व्यतीत कर रहा है। इस शख्स का समाज से कोई वास्ता नहीं ह। ये दुनिया की सबसे ख़तरनाक जगह पर अकेला ही रह रहा है। हम बात कर रहे हैं नाओतो मात्सुमुरा की जो जापान के एक छोटे से शहर तोमियोको में रह रहे हैं। इस शहर को दुनिया का सबसे खतरनाक शहर भी माना जाता है और ये इलाका पिछले नौ साल से वीरान पड़ा है लेकिन नाओतो मात्सुमुरा यहां बड़े आराम से रह रहे हैं।
दरअसल, 11 मार्च 2011 को जापान के फुकुशिमा में हुई भयानक परमाणु दुर्घटना के बाद तोमियोको सहित आसपास के इलाकों में रहने वाले लोग अपना घर-बाड़ छोड़कर दूसरे इलाकों में चले ग। नाओतो मात्सुमुरा भी तोमियोको से चले गए थे, लेकिन उन्हें रहने की कोई जगह नहीं मिली तो वो फिर वापस तोमियोको आकर रहने लगे।
कोरोना: अस्पताल में पहले मरीज का आते मच गई ही हड़बड़, नर्स ने बताई पूरी कहानी नाओतो के वापस आने की वजह से सबसे बड़ी वजह जानवर थे। अगर वे वापस नहीं आते सारे जानवर मर जाते । इस लिए वे वापस आ गए। नाओतो का कहना ह कि वे अकेले ही पशुओं की देखरेख में लगे रहते हैं। वे उन लोगों को धन्यवाद देते हैं, जो उन्हें पानी पहुंचाने सहित आर्थिक मदद मुहैया कराते हैं। नाओतो के नाम पर फेसबुक पेज ‘गार्डियन ऑफ फुकुशिमा एनिमल’ बना है, जिससे 14,106 लोग जुड़े हैं।
बता दें मात्सुमुरा को फुकुशिमा के जानवरों का संरक्षक कहा जाता है। वे पालतू जानवरों के साथ-साथ लावारिस जानवरों के लिए भी भोजन का प्रबंध करते हैं। सबसे ज्यादा हैरानी कि बात ये है कि मात्सुमुरा ये सब रेडिएशन से बुरी तरह प्रभावित होने के बाद भी कर रहे हैं।
एक शोध के अनुसार एक आम आदमी पर पूरी जिंदगी में जितना रेडिएशन पड़ता है, उससे 17 गुना ज्यादा मात्सुमुरा पर पड़ा है। क्यों परमाणु हमले के बाद वे कुछ ही दिनों बाद फुकुशिमा लौट आए थे। यहां आने के बाद वे यहां मौजूद सब्जियां, मांस या मछली खाते थे, जिसमें काफी ज्यादा रेडिएशन था। यहीं वजह है कि उन्हें ‘रेडियोएक्टिव मैन’ भी कहा जाता है।
कोरोना: भूख से तड़प रहा था बच्चा, शख्स ने दिया खाना तो चिल्लाकर बोला- ‘मां खाना मिल गया’ एक इंटरव्यू में मात्सुमुरा ने बताया था कि जब वे वापस आए थे तो यहां सब कुछ तबाह हो चुका था। हर तरफ जानवरों की लाशें बिखरी पड़ी थी। अकेले उनके 1,000 से ज्यादा जानवर मर गए थे। मात्सुमुरा बताते हैं कि दुर्गंध इतनी तेज होती थी कि एक पल भी रुकना मुश्किल था। फिर उन्होंने कई महीनों तक पूरे जगह की सफाई की और इसे रहने लायक बनाया।