लेकिन रक्षा बंधन को नज़दीक आता देख परिवार ने आरोपी से बेटी को मनाली से वापस बुलाने के लिए कहा था। जिसके बाद आरोपी पिता ने धंधा चलाने वाली महिला को फोन कर एक हफ्ते के लिए बेटी को बुला लिया। फिर मासूम बच्ची जिस्मफरोशी के दलदल से निकलकर 20 अगस्त को वापस पटियाला आ गई तो उसके पिता ने उसे घर में ही बंदी बना लिया। एक दिन मौका पाकर लड़की घर से भाग निकली और पड़ोस में रहने वाली एक डॉक्टर के पास जा पहुंची। बच्ची ने डॉक्टर को अपनी आपबीती सुनाई, जो पिछले चार महीनों से उसके साथ हो रहा था।
महिला डॉक्टर ने पहले तो पुलिस में सूचना दी, लेकिन पुलिस के ढीले रवैये को देखते हुए गुरुवार को महिला बच्ची को लेकर सीधे जुवेनाइल कोर्ट पहुंच गई। कोर्ट के आदेशों के बाद चाइल्ड प्रोटेक्शन ने कार्रवाई शुरू कर दी है। बता दें कि बच्ची पटियाला में अपने पिता के साथ रहती थी, जबकि उसका पूरा परिवार गांव में रहता था। हालांकि इस पूरे मामले में अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। पीड़ित बच्ची ने बताया कि मनाली में उसे एक होटल में रखा गया था, जहां दरिंदे किस्म के लोग बारी-बारी से आकर उसे नोंच खाते थे। वो सभी से अपनी दर्दभरी दास्तां सुनाती थी, लेकिन किसी ने उसकी एक नहीं सुनी और नोंच-खाकर चले जाते थे। फिलहाल बच्ची चाइल्ड प्रोटेक्शन की एक महिला अधिकारी बलजीत कौर की कस्टडी में है।