हालांकि राम के मृत्यु (Death of ram) के बारे में रामायण के अलावा अन्य रामायण और पुराणों में अलग-अलग वर्णन मिलता है। लेकिन जो सबसे प्रचलित कथा ये है कि सीता की सती प्रामाणिकता सिद्ध होने के पश्चात सीता अपने दोनों पुत्रों कुश और लव को राम की गोद में सौंपकर धरती माता के साथ भूगर्भ में चली गई। सीता के चले जाने से राम ने यमराज की सहमति से सरयू नदी (Sarayu River) के तट पर गुप्तार घाट (Guptar Ghat) में जल समाधि ले ली।
धरा धाम को छोड़ दिया और बैकुंठ चले गए थे श्री राम
वहीं जगतगुरु श्री रामदिनेशाचार्य (Jagatguru Shri Ramdineshacharya) का कहना है कि भगवान श्री राम की जब सभी लीलाएं समाप्त हो गयीं तो उन्होंने इस धरा धाम को छोड़ दिया और बैकुंठ चले गए। रामदिनेशाचार्य के मुताबिक किसी भी शास्त्र, पुराण में भगवान के मृत्यु के बारे में नहीं लिखा गया है। उन्होंने आगे बताया कि मृत्यु -जन्म का चक्र मानव के साथ होता है। भगवान राम महा मानव थे उनका शरीर दिव्य था जब भगवान की लीला धरती पर समाप्त हो गयी तो त्रेता युग में देवताओं ने भगवान श्री राम से आग्रह किया कि प्रभु अब अपने धाम वापस चलें। तब भगवान सशरीर इस धरती को छोड़ कर अपने लोक के लिए प्रस्थान कर गए।
रामदिनेशाचार्य (Jagatguru Shri Ramdineshacharya) के मुताबिक भगवान श्री राम ने जब धरती से वापस गए थे तो उनके साथ पूरा कौशलपुर देश जिसे वर्तमान में अयोध्या (Ayodhya) कहा जाता है जल में समा गया था। भगवान राम सशरीर अदृश्य हुए आज वह स्थान फैजाबाद के सरयू तट के किनारे मौजूद है। जिसो गुप्तार घाट के नाम से जाना जाता है।
हनुमान बने थे मृत्यु का कारण?
वहीं एक दूसरी कथा के अनुसार हनुमान जी (Hanuman ji) एक बार अयोध्या से बाहर चले गए थे। उन्हें राज्य से बाहर जाते देख यमराज ने नगर में प्रवेश किया और एक संत का रूप धारण कर वे राम के महल पहुंच गए। यहां उन्होंने श्री राम से अपनी वार्ता को गुप्त रखने के लिए यह शर्त रखी और कहां यही हमारे बात-चीत के बीत कोई आया तो द्वारपाल को मृत्युदंड दिया जाएगा। और उस समय लक्ष्मण को द्वारपाल बनाया गया था।
यमराज और श्री राम बात कर रहे थे तभी ऋषि दुर्वासा आ गए और लक्ष्मण से अंदर जाने की जिद करने लगे । उनका क्रोध देख लक्ष्मण ने अंदर दिया। इसके बाद राम ने लक्ष्मण को राज्य निकाला दे दिया, लेकिन लक्ष्मण ने अपने भ्राता के वचन को निभाने के लिए राज्य से बाहर जाने के बजाय सरयू में जल समाधि ले ली।