डेढ़ घंटे तक रहेगा शुभ मुहूर्त
करवा चौथ का व्रत इस साल 4 नवंबर को पड़ रहा है। पंडित दीनानाथ शुक्ला के अनुसार चतुर्थी तिथि की शुरुआत 4 नवंबर को सुबह 3 बजकर 24 मिनट से होगी। जो 5 नवंबर को सुबह 5 बजकर 14 मिनट पर खत्म होगी। करवा चौथ का शुभ मुहूर्त चतुर्थी तिथि की शाम 5 बजकर 34 मिनट से शाम 6 बजकर 52 मिनट तक रहेगा। यानी पूजन के लिए करीब डेढ़ घंटे का मुहूर्त अत्यन्त शुभ है। अगर इस दौरान पूजा की जाए तो पति का आपके लिए प्यार और बढ़ जाएगा। साथ ही आपके जीवन में तरक्की होगी। वहीं चंद्रोदय रात 8 बजकर 12 मिनट पर होने की संभावना है।
करवा चौथ का व्रत इस साल 4 नवंबर को पड़ रहा है। पंडित दीनानाथ शुक्ला के अनुसार चतुर्थी तिथि की शुरुआत 4 नवंबर को सुबह 3 बजकर 24 मिनट से होगी। जो 5 नवंबर को सुबह 5 बजकर 14 मिनट पर खत्म होगी। करवा चौथ का शुभ मुहूर्त चतुर्थी तिथि की शाम 5 बजकर 34 मिनट से शाम 6 बजकर 52 मिनट तक रहेगा। यानी पूजन के लिए करीब डेढ़ घंटे का मुहूर्त अत्यन्त शुभ है। अगर इस दौरान पूजा की जाए तो पति का आपके लिए प्यार और बढ़ जाएगा। साथ ही आपके जीवन में तरक्की होगी। वहीं चंद्रोदय रात 8 बजकर 12 मिनट पर होने की संभावना है।
करवा चौथ पूजन विधि
करवा चौथ के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करना शुभ माना जाता है। नहाने के बाद पूजा स्थल को अच्छी तरह से साफ कर लें। इसके बाद सास या घर के किसी बड़े बुजुर्ग की ओर से दी गई सरगी को सूर्योदय से पहले ग्रहण कर लें। अब हाथ में जल लेकर करवा चौथ के निर्जल व्रत का संकल्प लें। आप चाहे तो पूजा स्थल पर कलश की स्थापना भी उस वक्त कर सकती हैं। शाम की पूजा के लिए गेरु व पिसे हुए चावल का घोल बनाकर करवा रंग लें। इसके बाद पूजा स्थान पर करवा माता और शिव परिवार की प्रतिमा स्थापित करें। आप चाहे तो उनकी फोटो भी लगा सकती हैं। अब सोलह श्रृंगार करें शाम को पूजन के लिए बैठें। इस दौरान मां गौरी और करवा माता को लाल चुनरी ओढ़ाएं और सुहाग का सामान चढ़ाएं। एक तरफ अपना करवा रखें। दूसरी तरफ देवी मां का। उसमें चूरा और सात पूड़ियां एवं मिठाई रखें। इसके उपर चावल रखकर दीपक जलाएं और करवे में सींकें लगाएं। अब विधि पूर्वक करवा चौथ की कथा पढ़े या सुनें। अंत में चंद्र देव को अघ्र्य दें और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करें।
करवा चौथ के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करना शुभ माना जाता है। नहाने के बाद पूजा स्थल को अच्छी तरह से साफ कर लें। इसके बाद सास या घर के किसी बड़े बुजुर्ग की ओर से दी गई सरगी को सूर्योदय से पहले ग्रहण कर लें। अब हाथ में जल लेकर करवा चौथ के निर्जल व्रत का संकल्प लें। आप चाहे तो पूजा स्थल पर कलश की स्थापना भी उस वक्त कर सकती हैं। शाम की पूजा के लिए गेरु व पिसे हुए चावल का घोल बनाकर करवा रंग लें। इसके बाद पूजा स्थान पर करवा माता और शिव परिवार की प्रतिमा स्थापित करें। आप चाहे तो उनकी फोटो भी लगा सकती हैं। अब सोलह श्रृंगार करें शाम को पूजन के लिए बैठें। इस दौरान मां गौरी और करवा माता को लाल चुनरी ओढ़ाएं और सुहाग का सामान चढ़ाएं। एक तरफ अपना करवा रखें। दूसरी तरफ देवी मां का। उसमें चूरा और सात पूड़ियां एवं मिठाई रखें। इसके उपर चावल रखकर दीपक जलाएं और करवे में सींकें लगाएं। अब विधि पूर्वक करवा चौथ की कथा पढ़े या सुनें। अंत में चंद्र देव को अघ्र्य दें और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करें।