वहीं, पतंजलि के सीईओ आचार्य बालकृष्ण ( Acharya Balakrishna ) ने कहा है कि उन्होंने आयुष मंत्रालय के सभी सवालों का जवाब दे दिया है। इसी बीच अब एक पत्र सोशल मीडिया ( Social Media ) पर वायरल हो रहा है। जिसमें दावा किया जा रहा है कि पतंजलि की कोरोनिल दवा को आयुष मंत्रालय ने अनुमति दे दी है। बता दें कि 23 जून को पतंजलि ने कोरोना वायरस ( COVID-19 virus ) के इलाज का दावा करते हुए कोरोनिल दवा लॉन्च की थी। आयुष मंत्रालय ने इस पर आपत्ति जताते हुए दवा के प्रचार प्रसार पर रोक लगा दी।
क्या है दावा?
दरअसल, एक पत्र सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। पत्र में लिखा गया है कि पतंजलि ने आयुष मंत्रालय को जवाब दे दिया है। मंत्रालय को क्लिनिकल ट्रायल, ट्रायल साइट की जानकारी, स्टडी प्रोटोकॉल से जुड़े सभी दस्तावेज सौंप गए हैं। इस पत्र के आधार पर दावा किया जा रहा है कि आयुष मंत्रालय ने पतंजलि को दवा के लिए अप्रूव दे दिया है।
क्या है सच?
पत्रिका फैक्ट फाइंडर में यह दावा पूरी तरह झूठा निकला है। दरअसल, पतंजलि के एमडी आचार्य बालकृष्ण ने एक पत्र फेसबुक पर शेयर किया था। अब लोग इसी पत्र को शेयर कर आयुष मंत्रालय का अप्रूवल बता रहे हैं। इस पत्र में लिखा गया है कि मंत्रालय द्वारा मांगे गए सभी दस्तावेजों को जमा करा दिए गए हैं।
अब मंत्रालय के पास सत्यापित करने लिए सभी डेटा और शोध दस्तावेज मौजूद हैं। इस पत्र का मतलब था कि आयुष मंत्रालय को सभी दस्तावेज सौंप दिए गए हैं, अब इनकी जांच होगी। लेकिन, लोगों ने समझा कि मंत्रालय ने कोरोनिल दवा को अनुमति दे दी है। ऐसे में सोशल मीडिया पर किए जा रहे दावें पूरी तरह फर्जी हैं। आयुष मंत्रालय सभी दस्तावेजों की जांच करने के बाद ही इस पर निर्णय लेगा।