दरअसल ये लोग कई वर्षों से उस पल का इंतज़ार कर रहे हैं, जब इन्हें भारत की नागरिकता मिल जाएगी और वे भारत के नागरिक कहलाने का सम्मान औऱ अधिकार हासिल कर सकेंगे। यहां के वाशिदों को मतदान ( Vote ) का अधिकार नहीं है, लेकिन फिर भी इन सभी की नज़रें दिल्ली चुनाव पर थीं, ताकि इन्हें बुनियादी सुविधाओं का लाभ मिल सके।
इन शरणार्थी परिवारों के पास पक्के शौचालय ( Toilet ) नहीं हैं और बिजली-पानी की सुविधा भी उनके पास नहीं है। इन सब दिक्कतों के बावजूद जंगल के बीचो-बीच रहने को मजबूर शरणार्थियों को सरकार से कोई शिकायत नहीं है। उनकी ख्वाहिश बस इतनी-सी है कि एक दिन उनकी झोपड़ियों तक बिजली और पानी जैसी सुविधाएं जरूरी पहुंचेंगी।
सरकार किसे मानती है शहीद, जानें पुलिस और अर्धसैनिक बलों को क्यों नहीं मिलता ये दर्जा
शरणार्थी कैंपों में रहने वाले वाशिंदों का कहना है कि हिंदू होने की वजह से पाकिस्तान में उनके साथ बड़े पैमाने पर भेदभाव होता था। उनकी संपत्ति, लड़िकयां औऱ जिंदगी, कुछ भी सुरक्षित नहीं था। यही वजह है कि उन्हें पाकिस्तान छोड़कर भारत आने का फैसला करना पड़ा।
बुनियादी सुविधाओं से है वंचित
सिग्नेचर ब्रिज के करीब स्थित शरणार्थी शिविर जंगल के बीचोबीच स्थित है। पाक शरणार्थियों की झोपड़ियां कच्ची हैं, लेकिन वे पूरी साफ सफाई से रहते हैं। यहां रह रहे लोग अपने कागज दिखाते हुए कहते है कि हमारे पास पूरे कागज हैं जो खूब जांचे जाते हैं, लेकिन सुविधाएं नहीं मिलतीं। बिजली-पानी नहीं मिलता, कुछ सोलर लाइटें जरूर उपलब्ध कराई गई हैं।
इन शिविरों में लगभग लगभग 60 शरणार्थी परिवार यहाँ बिना किसी आधारभूत सुविधा के अपना जीवन गुजर-बसर कर रहे है। लगभग सभी घर बिना दरवाजे के हैं। घरों की छतें तिरपाल से ढकी हुई हैं। ऐसे में इन परिवारों की लड़कियों और महिलाओं को कई परेशानियों से दो-चार होना पड़ता है।
पीने को नसीब नहीं होता साफ पानी
इनके सामने सबसे बड़ी समस्या है साफ पानी की। इनके शिविरों के पास खारे और दूषित पानी वाले कुछ हैंड पंप हैं, जो यहां रह रहे लोगों की कई समस्याओं और बीमारियों का कारण बन चुके हैं। यहां के बच्चों में गंदे पानी की वजह से कई बीमारियां पनप रही है।
हैंड पंप से निकलने वाला पानी कभी-कभी पीला और बदबूदार हो जाता है। चूंकि इनके पास कोई अन्य विकल्प नहीं है, इसलिए ये लोग इसी गंदे पानी का इस्तेमाल कर लेते है। यहां के ज्यादातर लोग त्वचा की समस्या से जूझ रहे है। इसके बावजूद इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।
सांप-बिच्छू नहीं सोने देते चैन की नींद
इनके पास सोने के लिए चारपाई तक नहीं है। इसलिए यहां के ज्यादातर लोग जमीन पर ही सोते है, क्योंकि इनके शिविर ( Camp ) जंगल के बीच में हैं, ऐसे में आए दिन इन्हें सांप ( Snake ) और बिच्छू के अलावा कई खतरनाक जानवारों का भी सामना करना पड़ता है।
भारत में जी रहे हैं इज्जत की जिंदगी
पाकिस्तान से बेहतर भविष्य की आस में भारत आए इन लोगों को लगता है कि यहां आकर इनकी स्थितियां बेहतर हुई हैं। इन लोगों की जिंदगी भले ही अभाव में गुजर रही है लेकिन यहां के लोगों का मानना है कि वो हिंदुस्तान में इज़्ज़त की ज़िंदगी जी रहे हैं। कम से कम रात को चैन से सो पाते हैं।
कई बार दो वक्त की रोटी कमाना मुश्किल होता है, लेकिन दो-ढाई सौ कमाकर अपना गुज़ारा कर लेते हैं। यहां रहने वाले ज़्यादातर मर्द रेहड़ी-पटरी लगाकर, खेतों में काम करके, छोटी-मोटी दुकानें चलाकर परिवार की रोज़ी-रोटी का इंतज़ाम करते हैं। इस सब कमियों के बीच ये शरणार्थी एक बेहतर भविष्य की उम्मीद लगाए अपनी जिंदगी को पटरी पर लाने की जद्दोजहद कर रहे हैं।