स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक छोटे बच्चों के नाक में किशोरों, युवाओं या वयस्कों की तुलना में कोरोना वायरस के जेनेटिक मेटेरियल अधिक होते हैं। ऐसे में बच्चे सामुदायिक संक्रमण(Community Transmission) का बड़े वाहक हो सकते हैं। जेएएमए पीडियाट्रिक्स की ओर इस अध्ययन के लिए 23 से 27 अप्रैल के बीच अमेरिका के शिकागो में करीब 145 मरीजों के नाक से स्वैब लिए गए थे। इस अध्ययन में मरीजों के समूह को तीन हिस्सों में बांटा गया था। इनमें पांच साल से कम उम्र के 46 बच्चे थे, वहीं 51 बच्चों की उम्र 5 से 17 साल के बीच थी और 48 लोग 18 से 65 साल की उम्र के थे। एन एंड रोबर्ट एच लूरी चिल्ड्रेन हॉस्पिटल के डॉ. टेलर हील्ड के नेतृत्व में किए गए इस अध्ययन में कई नई जानकारियां मिली। शोधकर्ताओं ने पाया कि छोटे बच्चों के ऊपरी श्वांस नली में कोरोना वायरस 10 से 100 गुना तक अधिक थे। ऐसे में जिनमें जेनेटिक मैटिरियल जितनी ज्यादा होती है, संक्रमण फैलने का खतरा उतना ही होता है। इसलिए बच्चों से कम्युनिटी ट्रांसमिशन का खतरा है।
मालूम हो कि इससे पहले साउथ कोरिया में हुई एक रिसर्च स्टडी में भी ये कहा गया था कि 10 से 19 साल के बच्चों से कोरोना संक्रमण फैला है। हालंकि उसमें 9 साल से कम उम्र के बच्चों को कम संक्रमण फैलाने वाला बताया गया था है। हालांकि अभी भी कई रिर्सचर कम्यूनिटी ट्रांसमिशन में बच्चों की भूमिका पर और अध्ययन किए जाने की बात कह रहे हैं।