जन्मदिन विशेष- वाइन और कुकिंग ऑयल से दौड़ती हैं प्रिंस चार्ल्स की गाड़ियां, ये है इस अनोखे शौक की वजह

खास बात यह है कि प्रिंस अभी भी यह कार चलाते हैं। हालांक बाद में बायोफ्यूल टेक्नोलॉजी आने के बाद उन्होंने 2008 में एस्टन मार्टिन के इंजीनियरों से इस कार को पूरी तरह से बायोफ्यूल से चलने लायक बनाने को कहा और इंजिनियरों ने ऐसा संभव कर दिया।

<p>जन्मदिन विशेष- वाइन और कुकिंग ऑयल से दौड़ती हैं प्रिंस चार्ल्स की गाड़ियां, ये है इस अनोखे शौक की वजह</p>

नई दिल्ली। इसे जिद कहें या जुनून लेकिन हकीकत यही है कि ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के बेटे प्रिंस चा‌र्ल्स की 50 साल पुरानी कार पेट्रोल, डीजल या गैस की बजाय इंग्लैंड की मशहूर व्हाइट वाइन से चलती है। जी हां, प्रिंस चार्ल्स ने अपने 70वें जन्मदिन के मौके पर शाही कार और शाही ट्रेन के साथ किए प्रयोगों के ऐसे कई राज खोले जिसे जानकर आप भी हैरान रह जाएगें।

दरअसल, प्रिंस चार्ल्स, लग्जरी कारों के जितने बड़े शौकीन हैं, उतने ही पर्यावरण प्रेमी भी हैं। इसी मकसद से उन्होंने अपनी एस्टन मार्टिन कार में खास बदलाव करवाया था, जिससे वह वाइन से चल सके और कम से कम पर्यावरण प्रदूषण हो। 49 साल पुरानी यह एस्टन मार्टिन कार चार्ल्स को उनके 21वें जन्मदिन पर महारानी ने तोहफे में दी थी। आज प्रिंस चार्ल्स अपना 70वां जन्मदिन मना रहे हैं।

एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म की शूटिंग के दौरान प्रिंस चार्ल्स ने बताया कि उन्होंने न सिर्फ अपनी कार, बल्कि राजघराने की शाही ट्रेन को भी ईको-फ्रेंडली बनाया है। उनकी शाही ट्रेन को चलाने में कुकिंग ऑयल इस्तेमाल होता है। खास बात यह है कि प्रिंस अभी भी यह कार चलाते हैं। हालांक बाद में बायोफ्यूल टेक्नोलॉजी आने के बाद उन्होंने 2008 में एस्टन मार्टिन के इंजीनियरों से इस कार को पूरी तरह से बायोफ्यूल से चलने लायक बनाने को कहा और इंजिनियरों ने ऐसा संभव कर दिया। अब यह कार पहले से कम प्रदूषण फैलाती है और इसकी परफॉर्मेंस भी बेहतर हो गई है। यह कार 85% वाइन और 15 % पेट्रोल के कॉम्बिनेशन वाले फ्यूल से चलती है।

कुकिंग ऑयल से दौड़ती है शाही घराने की ट्रेन

प्रिंस चार्ल्स अपनी कार से पहले राजघराने की शाही ट्रेन रॉयल सोवरिन को भी ईको-फ्रेंडली बना चुके हैं। दरअसल, विदेशों में एक बार खाना बनाने के बाद बचे हुए तेल का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। ऐसे में बायोफ्यूल के इस्तेमाल से इस ट्रेन से होने वाला कार्बन उत्सर्जन 20% तक घट जाता है और इस बचे हुए तेल का भी इस्तेमाल हो जाता है।
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