विरोधी पार्टी भी बदलाखोरी का इल्जाम नहीं लगा सकतीं मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि बाजवा के ख़ुद के कहने के मुताबिक वह तथाकथित राजनैतिक-पुलिस-नशों का गठजोड़, नाजायज़ शराब का उत्पादन और नाजायज़ माइनिंग जो कि पंजाब में सरकारी सरपरस्ती अधीन हो रही है, के खि़लाफ़ आवाज़ उठा रहे हैं। परन्तु यदि सरकार ने बाजवा के खि़लाफ़ कोई बदले वाली कार्यवाही करनी होती तो उसकी तरफ से केंद्र द्वारा बाजवा को सुरक्षा मुहैया करवाए जाने का इंतज़ार न किया जाता। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि,‘‘क्या हमने आपकी तरफ से हमेशा राज्य सरकार की आलोचना किये जाने को बर्दाश्त नहीं किया?’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की विरोधी पार्टियाँ भी उनकी सरकार पर बदलाखोरी का इल्ज़ाम नहीं लगा सकतीं।
सुरक्षा में सीआईएसएफ के 25 जवान, इसीलिए पुलिस हटाई राज्य सरकार द्वारा दी गई सुरक्षा वापस लेने का फ़ैसला बतौर गृह मंत्री उनका था, जो कि पंजाब पुलिस से मिली इंटेलिजेंस की जानकारी पर आधारित था। डी.जी.पी. पर बाजवा द्वारा निजी हमला करना न सिर्फ गलत है बल्कि कांग्रेस पार्टी, जिसके बाजवा ख़ुद भी वरिष्ठ सदस्य हैं, की रिवायतों के बिल्कुल खि़लाफ़ हैं। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि पंजाब में बाजवा अकेले व्यक्ति नहीं हैं जिनकी सुरक्षा कोविड महामारी के सामने आने के बाद वापस ली गई है। इसके पीछे कारण यह था कि कोविड की स्थिति को देखते हुए और राज्य के हितों के मद्देनजऱ 6500 पुलिस कर्मचारी पूरे राज्य में सुरक्षा ड्यूटी से वापस ले लिए गए थे। जहाँ तक बाजवा की बात है, तो उपरोक्त में उनके सुरक्षा कर्मियों की संख्या सिर्फ छह थी। दूसरी बात बाजवा की प्रांतीय पुलिस सुरक्षा वापस लेने का फ़ैसला राज्य सभा सदस्य को केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से जेड सुरक्षा के अधीन सी.आई.एस.एफ. की तरफ से 25 सुरक्षा कर्मी (समेत दो एस्कॉर्ट ड्राईवर और एक कार) देने के बाद ही लिया गया।
क्या है मामला बता दें कि बाजवा ने जहरीली शराब को लेकर पंजाब के राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर से मुलाकात कर कार्रवाई की मांग की थी। यह एक तरह से मुख्यमंत्री के खिलाफ शिकायत थी। इसी के बाद से मुख्यमंत्री ने कड़ा रुख अपनाया है। सांसद लगातार विरोध जता रहे हैं।