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होशंगाबाद

डूब क्षेत्र में चल रहे दर्जनों अवैध ईंट भट्टों से नर्मदा-तवा तटों में कटाव, पर्यावरण को नुकसान

होशंगाबाद में 50 भट्टे फैला रहे प्रदूषण व मिट्टी का कटाव,पिछले वर्षों की भीषण बाढ़ से भी नहीं लिया प्रशासन ने सबक, नर्मदा-तवा तट सहित इससे जुड़े गांवों की जमीनें हो रही बर्बाद

होशंगाबादOct 24, 2021 / 12:40 pm

devendra awadhiya

डूब क्षेत्र में चल रहे दर्जनों अवैध ईंट भट्टों से नर्मदा-तवा तटों में कटाव, पर्यावरण को नुकसान

डूब क्षेत्र में चल रहे दर्जनों अवैध ईंट भट्टों से नर्मदा-तवा तटों में कटाव, पर्यावरण को नुकसान

देवेंद्र अवधिया
होशंगाबाद. जिला मुख्यालय पर नियमों की अनदेखी के चलते होशंगाबाद के बरंडुआ, डोंगरवाड़ा, घानाबड़, बांद्राभान, रायपुर निमसाडिय़ा, इटारसी के नागपुरकला आदि नर्मदा-तवा के तटों पर अवैध रूप से दर्जनों ईंटों के भट्टे चलाए जा रहे हैं, जिसके कारण गांवों व तटों पर कटाव बढ़ रहा है। ईंटों की सप्लाई करने के लिए रास्ते भी बना लिए गए हैं। जिला प्रशासन एवं खनिज विभाग इन भट्टों को बंद कराने कोई कार्रवाई नहीं कर रहा। भट्टों में मिट्टी का भारी खनन किया जा रहा है। इन भट्टों के निकले धुएं से आसपास के रहवासी क्षेत्र में वायू प्रदूषण भी फैल रहा है। तटों के किनारे लगाए गए पेड़-पौधों को भी नुकसान हो रहा है।

अतिवर्षा-बाढ़ में डूब जाते हैं क्षेत्र
शहर के आसपास के आधा दर्जन ग्रामीण इलाकों में नर्मदा-तवा से कुछ ही मीटर की दूरियों पर इन ईंट भट्टों के धधकने और मिट्टी खनन से बढ़ रहे कटाव, गहरी खाइयों के कारण हर साल बारिश में अतिवर्षा-बाढ़ की स्थिति बनने पर डूब जाते हैं। इन निचले और डूब क्षेत्र में मिट्टी-रेत के खनन पर प्रतिबंध है, लेकिन इसके बाद भी ईंट भट्टों का धड़ल्ले से संचालन किया जा रहा है। डोंगरवाड़ा, बरंडुआ, बांद्राभान, निमसाडिय़ा में पिछले वर्षों की बाढ़ से भारी नुकसान हुआ था। इसके बाद भी प्रशासन मिट्टी के कटाव को रोकने कोई पुख्ता कदम नहीं उठा रहा।

किसानों की जमीनें हो रही बर्बाद
इन ईंट भट्टों और मिट्टी के खनन के कारण तटवर्ती किसानों की जमीनें बर्बाद हो रही है। खेतों में मिट्टी-कपा और रेत जमा होने से फसल भी नहीं ले पा रहे। रायपुर-निमसाडिय़ा में स्थिति बेहद गंभीर है। रायपुर गांव के किसान बीते समय में कई बार जिला प्रशासन से शिकायत कर कर चुके हैं। न तो इन्हें खेतों से रेत निकालने की अनुमति मिल रही, न ही मुआवजा। ईंट भट्टों ने अलग से परेशानी खड़ी कर दी है। रायपुर के किसान अजय दुबे, मनीष तोमर आदि बताते हैं कि गांव के तट पर भारी कटाव हो रहा है। जमीन बचाना मुश्किल हो रहा। इधर, डोंगरवाड़ा-बरंडुआ में भी बीते सालों में ईंट भट्टों के कारण तट पर भारी कटाव और डूब क्षेत्र बढ़ चुका है।

खनिज विभाग में एक भी पंजीकृत नहीं
जिला खनिज विभाग में एक भी ईंट भट्टा पंजीकृत नहीं है। ऐसे करीब 40 से अधिक भट्टे अवैध रूप से चल रहे। विभाग के मुताबिक सिर्फ तीन चिमनी भट्टे ही पंजीकृत हैं। इनमें तवा नदी के किनारे मेहराघाट, नर्मदा डूब क्षेत्र बरंडुआ और इटारसी नागपुरकला में है। बाकी के ईंट भट्टों को कोई अनुमति नहीं है। एसडीएम-तहसील कार्यालय से भी इन भट्टों की अनुमति नहीं ली गई है।

पुस्तैनी धंधे में नहीं मिल रही कोई मदद
इधर, कुम्हार समाज के लोगों लखन प्रजापति, फूलचंद मालवीय, राजेश प्रजापति आदि का कहना है कि उनके अपने इस पुस्तैनी धंधे को दूसरे दबंग व बड़े कारोबारियों व्दारा छीन लिए जाने सौ परिवारों पर रोजी-रोटी का संकट बना हुआ है। शासन-प्रशासन से इन्हें मिट्टी से जुड़े व्यवसाय ईंट भट्टे, मूर्ति कला के लिए कोई ऋण और अनुदान भी नहीं मिल रहा है, जबकि मिट्टी के खनन की छूट शासन से मिली हुई है।

कटाव को रोकने कोई ठोस योजना नहीं
नर्मदा-तवा नदी के तटों व इससे जुड़े गांवों की जमीनों के कटाव को रोकने के लिए प्रशासन ने अभी तक कोई ठोस योजना ही नहीं बनाई और न ही कटाव को भरकर मरम्मत तटबंध बने सके। शहर को बाढ़ से बचाने के लिए जो पुरानी पिचिंग है वह भी जर्जर हो रही है। इसमें भी कोई सुधार नहीं हुआ है। भीलपुरा, नौगजा, राजघाट की पिचिंग के पत्थर भी गायब हो चुके हैं। कटाव बढ़ रहा है।

इनका कहना है…
विभाग में सिर्फ तीन चिमनी के भट्टे ही पंजीकृत हैं। इसके अलावा जो भी भट्टे चल रहे वह अवैध हैं। तहसील कार्यालय से पत्र आया है। जल्द ही अवैध रूप से संचालित भट्टों पर कार्रवाई कर इन्हें बंद कराया जाएगा।
-शशांक शुक्ला, जिला खनिज अधिकारी

शहर के आसपास करीब 38 ईंट भट्टे अवैध रूप से संचालित पाए गए हैं। इनके संचालकों को नोटिस जारी किए जा चुके हैं। खनिज विभाग को भी खनिज नियमों के तहत कार्रवाई करने पत्र भेजा गया है। कार्रवाई में राजस्व टीम भी खनिज अमले के साथ शामिल रहेगी।
-शैलेंद्र बड़ौनिया, तहसीलदार ग्रामीण होशंगाबाद

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