योग: सिद्धि नामक नैसर्गिक शुभ योग रात्रि १०.३७ तक, इसके बाद व्यतिपात नामक बाधाकारक नैसर्गिक अशुभ योग है। व्यतिपात योग में सभी शुभ कार्य सर्वथा वर्जित हैं। विशिष्ट योग: सूर्योदय से सायं ५.१२ तक दोष समूह नाशक रवियोग नामक शक्तिशाली शुभ योग है। रवियोग सभी कुयोगों की अशुभताओं को नष्ट कर शुभकार्यारंभ के लिए मार्ग प्रशस्त करता है। श्रेष्ठ चौघडि़ए: आज सूर्योदय से प्रात: ९.३८ तक लाभ व अमृत, पूर्वाह्न १०.५६ से दोपहर १२.१५ तक शुभ तथा दोपहर बाद २.५२ से सूर्यास्त तक चर व लाभ के श्रेष्ठ चौघडि़ए हैं, जो आवश्यक शुभकार्यारम्भ के लिए अत्युत्तम हैं। बुधवार को अभिजित नामक मुहूर्त शुभ कार्यों में त्याज्य बताया गया है। राहुकाल: बुधवार को दोपहर १२.०० से दोपहर बाद १.३० बजे तक राहुकाल वेला में शुभकार्यारंभ यथासंभव वर्जित रखना हितकर है।
योग: सिद्धि नामक नैसर्गिक शुभ योग रात्रि १०.३७ तक, इसके बाद व्यतिपात नामक बाधाकारक नैसर्गिक अशुभ योग है। व्यतिपात योग में सभी शुभ कार्य सर्वथा वर्जित हैं। विशिष्ट योग: सूर्योदय से सायं ५.१२ तक दोष समूह नाशक रवियोग नामक शक्तिशाली शुभ योग है। रवियोग सभी कुयोगों की अशुभताओं को नष्ट कर शुभकार्यारंभ के लिए मार्ग प्रशस्त करता है। श्रेष्ठ चौघडि़ए: आज सूर्योदय से प्रात: ९.३८ तक लाभ व अमृत, पूर्वाह्न १०.५६ से दोपहर १२.१५ तक शुभ तथा दोपहर बाद २.५२ से सूर्यास्त तक चर व लाभ के श्रेष्ठ चौघडि़ए हैं, जो आवश्यक शुभकार्यारम्भ के लिए अत्युत्तम हैं। बुधवार को अभिजित नामक मुहूर्त शुभ कार्यों में त्याज्य बताया गया है। राहुकाल: बुधवार को दोपहर १२.०० से दोपहर बाद १.३० बजे तक राहुकाल वेला में शुभकार्यारंभ यथासंभव वर्जित रखना हितकर है।