हॉलीवुड के दिग्गज फिल्मकार शूमेशर नहीं रहे, याद रहेंगी कमाल की फिल्में

सुपरहीरो बैटमैन सीरीज की ‘बैटमैन फॉरएवर’ (1995) जॉल शूमेशर के कॅरियर में एक और मील का पत्थर साबित हुई। इस फिल्म ने 33.6 करोड़ डॉलर (करीब 25.5 अरब रुपए) का कारोबार कर रेकॉर्ड बनाया, लेकिन इसके बाद ऐसी जबरदस्त कामयाबी ‘बैटमैन एंड रॉबिन’ (1997) को नसीब नहीं हुई।

<p>हॉलीवुड के दिग्गज फिल्मकार शूमेशर नहीं रहे, याद रहेंगी कमाल की फिल्में</p>

-दिनेश ठाकुर

सिनेमा को मनोरंजन के साथ-साथ इंसान और इंसान के बीच की दूरियों को पाटने का ताकतवर जरिया मानने वाले हॉलीवुड के दिग्गज फिल्मकार जॉल शूमेशर ( Joel Schumacher ) अब हमारे बीच नहीं हैं। लम्बे समय तक कैंसर से जूझने के बाद सोमवार को न्यूयार्क में उनकी सांसों का सफर थम गया। वे 80 साल के थे। शूमेशर की गिनती उन फिल्मकारों में होती है, जिन्होंने कथ्य के स्तर पर सिनेमा को नए विचार दिए तो तकनीक को नई ऊर्जा से लैस किया। बतौर निर्देशक अपनी पहली फिल्म ‘सेंट एल्मोज फायर’ (1985) में ही उन्होंने जता दिया था कि उन्होंने दूसरों से कुछ हटकर करने के लिए हॉलीवुड में कदम रखा है। इसमें ऐसे युवाओं की कहानी है, जो कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद जिंदगी और अपनी जिम्मेदारियों के बीच तालमेल बैठाना चाहते हैं। इस फिल्म में हॉलीवुड की महंगी अभिनेत्रियों में से एक डेमी मूर को देखकर साफ हो गया था कि शूमेशर की अगली फिल्में बड़े सितारों से लैस रहने वाली हैं। उन्होंने माइकल डगलस, जूलिया रॉबट्र्स, टॉमी ली जोन्स, निकॉल किडमैन, जिम कैरी, सांद्रा बुलक, कैटी होम्स, कॉलिन फेरेल और जेसन पैट्रिक के साथ कई कामयाब फिल्में बनाईं। उनकी ‘ए टाइम टू किल’ (1996) में एक पिता की त्रासदी को तर्क और ताकत के साथ पेश किया गया, जिसकी बेटी के साथ बलात्कार करने वालों की हत्या के बाद उस पर मुकदमा चलता है। इस कोर्ट ड्रामा ने बॉक्स ऑफिस की छत उड़ाई तो बॉलीवुड में महेश मांजरेकर ने इसी कहानी पर संजय दत्त और नंदिता दास को लेकर ‘पिता’ (2002) बनाई, लेकिन मूल फिल्म जैसी कामयाबी इसके हिस्से नहीं आई। शूमेशर की एक और ब्लॉकबस्टर ‘फोन बूथ’ (2003) की कहानी उड़ाकर बॉलीवुड में ‘नॉक आउट’ (2010) बनाई गई, जिसमें संजय दत्त, इरफान खान और कंगना रनौत के अहम किरदार हैं। यह बचकाना नकल भी नाकाम रही।

सुपरहीरो बैटमैन सीरीज की ‘बैटमैन फॉरएवर’ (1995) जॉल शूमेशर के कॅरियर में एक और मील का पत्थर साबित हुई। इस फिल्म ने 33.6 करोड़ डॉलर (करीब 25.5 अरब रुपए) का कारोबार कर रेकॉर्ड बनाया, लेकिन इसके बाद ऐसी जबरदस्त कामयाबी ‘बैटमैन एंड रॉबिन’ (1997) को नसीब नहीं हुई। इसकी नाकामी की जिम्मेदारी खुद पर लेते हुए शूमेशर ने कहा था- ‘मैंने निर्माताओं की यह सलाह मानकर गलती की कि फिल्म बच्चों को ध्यान में रखकर बनाई जाए।’ शुक्र है, यह गलती उन्होंने बाद की ‘टाइगरलैंड’, ‘द फेंटम ऑफ द ओपेरा’ और ‘द नम्बर 23’ में नहीं दोहराई।

हॉलीवुड के दिग्गज फिल्मकार शूमेशर नहीं रहे, याद रहेंगी कमाल की फिल्में

जॉल शूमेशर को ‘द लोस्ट बॉयज’, ‘फ्लैटलाइनर्स’, ‘द क्लाइंट’, ‘फॉलिंग डाउन’ और ‘8 एमएम’ जैसी कमाल की फिल्मों के लिए भी याद किया जाएगा। इनमें दुनिया को और बेहतर बनाने का इरादा रखने वाले किरदार पूरी हैसियत के साथ मौजूद हैं।

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