टीएनटी पर लगाएं ध्यान
बर्नआउट एक्सपर्ट पाउला डेविस-लाक कहती हैं नौकरी में मांग और संसाधनों के बीच संतुलन बनाने पर गौर करें। नौकरी की मांग है कि हम अपनी ऊर्जा खर्च कर कंपनी को लाभ दें। वहीं संसाधन आपके काम के लिए प्रेरक ऊर्जा देने वाले पहलू हैं। इसमें साथियों से घनिष्ठ संबंध, नई चुनौतियों का सामना करना, मेंटोरशिप व सकारात्मक फीडबैक मिलना इत्यादि शामिल है। अगर आपकी जॉब डिमांड्स हाई हैं और उनकी तुलना में संसाधन कम हैं तो अपने बॉस से इसे बदलने के लिए कहें। डेविस-लाक इसे टीएनटी कहती हैं- ‘टिनी नोटिसेबल थिंग्स’ or Tiny Noticeable Things।
दोस्तों संग बिताएं समय
अगर कुछ समझ नहीं आ रहा है तो कानों पर हैडफोन लगाकर वीडियो गेम खेलने से अच्छा है दोस्तों के साथ कोई पसंदीदा काम करें। दोस्तों के साथ हंसी-मज़ाक और साथ रहने की भावना सुरक्षित महसूस करने में मदद करती है। तनाव के स्तर को भी कम करती है। 30 घंटे औसतन एक कर्मचारी सप्ताह में ईमेल और फोन कॉल्स पर ही अपना समय बिता देता है। फ्रांस में ‘राइट टू डिसकनेक्ट कानून’ कर्मचारियों को संवैधानिक रूप से अपने काम के बाद ईमेल और फोन कॉल से दूर करता है। लेखक डैन शॉबैल का कहना है कि कंपनियों को उचित काम के घंटे लागू करने चाहिए। शॉबैल का कहना है कि लचीली कार्यशैली को बढ़ावा देने से बर्नआउट को रोकने में भी मदद मिलती है
कॉर्पोरेट कल्चर जरूरी
नियोक्ता बर्नआउट को भी प्रभावित करते हैं। लेखक डैन शॉबैल का कहना है कि कंपनियों को कॉर्पोरेट कल्चर लागू करना चाहिए। शॉबैल का कहना है कि लचीली कार्यशैली कर्मचारियों को समय प्रबंधन का समय देता है। वहीं औसतन एक कर्मचारी सप्ताह में 30 घंटे ईमेल और फोन कॉल्स पर बिता देता है।
समुदाय के साथ रहें
मनोवैज्ञानिक शेैरिल जीगलर कहती हैं कि पारंपरिक मूल्यों के प्रति हमारा रुझान घट रहा है। इसलिए अपने मन में अध्यात्मिकता का दिया जलाकर रखें क्योंकि यह शक्ति देता है। इसके अभाव में आज हम अपने परिजनों, परिवार और समुदाय से दूर होते जा रहे हैं।