हार्ट डिजीज से शरीर पर दुष्प्रभाव
हार्ट बीट यानी दिल की धड़कन अनियंत्रित होने से शरीर की क्षमता कमजोर होने लगती है। मरीज के चलने की क्षमता, शरीर की ऊर्जा और शारीरिक संतुलन पर भी असर पडऩे लगता है। अधिक उम्र के मरीजों में हार्ट अटैक और स्ट्रोक की भी आशंका बढ़ जाती है। वहीं, हृदय रोगों के कारण दिमाग और किडनी जैसे प्रमुख अंगों की कार्यप्रणाली खराब होने लगती है। हार्ट की समस्या होने पर इसका असर जबड़े, हाथों और गले पर भी पड़ता है। साथ ही शरीर के अंगों को ब्लड सप्लाई सही नहीं होने से उनका फंग्सन सही नहीं रहता है। सेल्स डैमेज होने लगते हैं।
हार्ट बीट यानी दिल की धड़कन अनियंत्रित होने से शरीर की क्षमता कमजोर होने लगती है। मरीज के चलने की क्षमता, शरीर की ऊर्जा और शारीरिक संतुलन पर भी असर पडऩे लगता है। अधिक उम्र के मरीजों में हार्ट अटैक और स्ट्रोक की भी आशंका बढ़ जाती है। वहीं, हृदय रोगों के कारण दिमाग और किडनी जैसे प्रमुख अंगों की कार्यप्रणाली खराब होने लगती है। हार्ट की समस्या होने पर इसका असर जबड़े, हाथों और गले पर भी पड़ता है। साथ ही शरीर के अंगों को ब्लड सप्लाई सही नहीं होने से उनका फंग्सन सही नहीं रहता है। सेल्स डैमेज होने लगते हैं।
आइसोमेट्रिक नहीं, ऐरोबिक्स करें
आमतौर पर दो तरह की एक्सरसाइज की जाती हैं, ऐरोबिक्स और आइसोमेट्रिक। ऐरोबिक्स में दौडऩे व उछलकूद करने के अलावा वॉक, स्टे्रचिंग आदि शामिल हैं जबकि आइसोमेट्रिक में वजन उठाना, बॉडी बिल्डिंग एक्टिविटी होती हंै। थोड़ी कठिन एक्सरसाइज होने के कारण हृदय रोगी को यह नहीं करनी चाहिए। हार्ट डिजीज में ऐरोबिक्स उपयोगी होती है। करीब 45 मिनट की ऐरोबिक्स सप्ताह में 4-5 दिन नियमित करनी चाहिए।
आमतौर पर दो तरह की एक्सरसाइज की जाती हैं, ऐरोबिक्स और आइसोमेट्रिक। ऐरोबिक्स में दौडऩे व उछलकूद करने के अलावा वॉक, स्टे्रचिंग आदि शामिल हैं जबकि आइसोमेट्रिक में वजन उठाना, बॉडी बिल्डिंग एक्टिविटी होती हंै। थोड़ी कठिन एक्सरसाइज होने के कारण हृदय रोगी को यह नहीं करनी चाहिए। हार्ट डिजीज में ऐरोबिक्स उपयोगी होती है। करीब 45 मिनट की ऐरोबिक्स सप्ताह में 4-5 दिन नियमित करनी चाहिए।