Mission and Vision: 2025 तक टीबी मुक्त होगा हिंदुस्तान

भारत में तपेदिक देखभाल के लिए जो मानक विकसित किए गए हैं, उनमें सर्वोत्तम निदान रणनीतियों को समाहित किया गया है…

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भारत में तपेदिक पर नियंत्रण पाने के लिए व्यापक रूप से कार्यक्रम व जागरुकता न होने के चलते यह काफी गंभीर बात बन गई है। बता दें कि विश्व में इस रोग के एक चौथाई मामले भारत में पाए जाते हैं। तपेदिक के खिलाफ अभियान में निजी क्षेत्र की सहभागिता सुनिश्चित की जानी चाहिए, जागरूकता फैलाने के लिए राजनीतिक प्रतिबद्धता होनी चाहिए और कुपोषण जैसे मामलों से निपटा जाना चाहिए। स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय तपेदिक शोध संस्थान के अनुसार तपेदिक अब भी चिंता का विषय बना हुआ है। इस स्थिति को देखते हुए भारत सरकार तपेदिक नियंत्रण उपायों पर अमल में तेजी ला चुकी है। परंपरागत रुख अपनाने की बजाय भारत अब गहन मिशन मोड में चला गया है, जो अत्यंत लघु स्तरों पर भी दिखाई दे रहा है। इसमें स्थानीय स्वशासन निकायों और स्वैच्छिक क्षेत्र के कार्यकर्ताओं को भी शामिल किया गया है।

भारत में तपेदिक देखभाल के लिए जो मानक विकसित किए गए हैं, उनमें सर्वोत्तम निदान रणनीतियों को समाहित किया गया है। इसके तहत अत्;यंत संवेदनशील उपकरणों, सार्वभौमिक दवा परीक्षण, उत्कृष्ट गुणवत्ता वाली दवाओं के उपयोग इत्यादि पर ध्यान केन्द्रित किया गया है। इसके अलावा सभी तपेदिक रोगियों को निशुल्क निदान एवं उपचार की सुविधा देने पर भी विचार किया जा रहा है, चाहे वे सरकारी अथवा निजी अस्पतालों में भी भर्ती क्यों न हों। तपेदिक के रोगियों को पोषक खाद्य पदार्थ सुनिश्चित करने के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं।

इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मंगलवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में टीबी उन्मूलन शिखर सम्मेलन का उद्धघाटन करने के साथ ही टीबी और तपेदिक मुक्त भारत अभियान का शुभारंभ भी करेंगे। टीबी मुक्त भारत अभियान टीबी उन्मूलन के लिए राष्ट्र्रीय रणनीतिक योजना (एनएसपी) की गतिविधियों को मिशन मोड में आगे बढ़ाएगा।

अगले तीन वर्षों में तपेदिक रोग के उन्मूलन के लिए राष्ट्र्रीय रणनीतिक योजना को 12 हजार करोड़ रुपए की राशि आवंटित की गई है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रत्येक मरीज को गुणवत्ता संपन्न रोग निदान, उपचार और समर्थन मिल सके। राष्ट्र्रीय रणनीतिक योजना का उद्देश्य टीबी के सभी रोगियों का पता लगा कर उन्हें उपचार मुहैया कराना है।

प्रधानमंत्री के 2025 तक टीबी को पूरी तरह समाप्त करने के विजन ने एसडीजी के पांच वर्ष पहले संशोधित राष्ट्र्रीय तपेदिक कार्यक्रम के प्रयासों को तेज कर दिया है।1997 में शुरू हुए इस कार्यक्रम के अंतर्गत दो करोड़ से अधिक टीबी रोगियों का इलाज किया गया है। बता दें कि सम्मेलन का आयोजन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्रीय कार्यालय (एसईएआरओ) तथा स्टॉप टीबी पार्टनरशिप द्वारा किया जा रहा है।

क्या होता है तपेदिक?
एक वक्त था, जब टीबी रोग एक भयानक बीमारी मानी जाती थी, लेकिन अब इसका ईलाज बहुत आसान हो गया है। टीबी रोग को तपेदिक, क्षय और यक्षमा जैसे कई नामों से जाना जाता है। तपेदिक संक्रामक रोग होता है जो माइकोबैक्टिरीअम टूबक्र्यूलोसस नामक जीवाणु के कारण होता है। तपेदिक के मूल लक्षणों में खांसी का लगातार आना…थूक का रंग बदलना मतलब खून जैसा रंग हो होना…बुखार, थकान, सीने में दर्द, भूख कम लगना…सांस लेते वक्त तकलीफ होना…खांसने के दौरान गले में दर्द होना…। यदि ये लक्षण नजर आएं, तो घबराएं नहीं…बराबर चेकअप करवाएं…डॉक्टर्स से परामर्श ले…इसका इलाज संभव है। यह बीमारी लाइलाज नहीं हैं। इस बीमारी से खुद भी अवेयर रहें और दूसरों को भी अवेयर करें।

 
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