संक्रमण बुखार तक सीमित नहीं
दर्जनों अध्ययनों से पता चला है कि कोविड-19 के संदिग्ध मरीजों के एक बड़े हिस्से में बुखार के लक्षण नहीं थे यानी वे संक्रमित तो थे लेकिन उन्हें न तो तेज बुखार था न ही सूखी खांसी। एक शोध के अनुसार अस्पताल आने वाले 30 से 43 फीसदी संदिग्ध या संक्रमित रोगियायें में औसतन 40 फीसदी पूरी तरह से स्पर्शोन्मुख (asymptomatic) होते हैं। ऐसे ही एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि महामारी की शुरुआत में दुनिया भर में यात्रा कर रहे 46 फीसदी यात्रियों के तापमान जांच में उन्हें वायरस के संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई जबकि वे उस समय भी कोविड-19 वायरस से संक्रमित थे। दरअसल, सामान्य जीवन में बुखार मापने पर भी शरीर का तापमान एक ही दिन में अलग-अलग समय पर भिन्न-भिन्न हो सकता है। ऐसा स्वस्थ्य व्यक्ति जो अभी धूप में चलकर या कुछ माले सीढिय़ां चढ़कर आया हो उसके शरीर का तापमान भी बढ़ा हुआ हो सकता है। वहीं हल्के या वाले उस व्यक्ति का उच्च तापमान भी थर्मामीटर स्कैनर से पकड़ में नहीं आएगा जिसने कुछ समय पहले ही इब्रूफेन दवा खाई हो जबकि वे वायरस दूसरे व्यक्ति तक पहुंचा सकते हैं।
थर्मामीटर जांच को लेकर भ्रम
महामारी के इस दौर में ‘नो-कॉन्टेक्ट’ थर्मामीटर स्कैनर्स से तापमान जांचने को लेकर बहुत से स्वास्थ्य संगठन भी सहमत नहीं हैं। उनका मानना है कि यह सिर्फ जीव विज्ञान और हमारी गतिविधियों की ही वजह से नहीं है जो तापमान जांच को कम प्रभावी बनाता है। स्वास्थ्य संगठनों के बीच थर्मामीटर रीडिंग में बुखार को लेकर भी कुछ भ्रम है। इतना ही नहीं कुछ देशों में तो शरीर का तापमान जांचने वालों पर भी आरोप लगाए जाने की रिपोर्ट है, क्योंकि उन्हें उपकरणों का उपयोग करने का पर्याप्त प्रशिक्षण तक नहीं दिया गया था। ऐसे ही बहुत से संस्थानों के पास उचित उपकरण नहीं हैं या वे तापमान जांचने का जो तरीका उपयोग कर रहे हैं वे गलत हैं।