नाक की झिल्ली में सूजन की चार वजह, इलेक्ट्रॉनिक डस्ट भी शामिल

इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से बारीक डस्ट (कार्बन) निकलती है जो सांस के साथ नाक में पहुंचकर नाक की झिल्ली में सूजन यानी राइनोसायनोसाइटिस की बीमारी करती है।

<p>नाक की झिल्ली में सूजन की चार वजह, इलेक्ट्रॉनिक डस्ट भी शामिल</p>
बंद कमरे में लंबे सबसे तक कम्प्यूटर, लैपटॉप, टीवी, मोबाइल और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स इस्तेमाल में लेना भी नाक की झिल्ली में सूजन का कारण हो सकता है। इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से बारीक डस्ट (कार्बन) निकलती है जो सांस के साथ नाक में पहुंचकर नाक की झिल्ली में सूजन यानी राइनोसायनोसाइटिस की बीमारी करती है। इसमें हमेशा सर्दी-जुकाम रहना, सिरदर्द और भारीपन, आवाज में बदलाव, बुखार, बेचैनी, आंखों में खुजली और ऊपर की तरफ दर्द, नाक, दांतों में दर्द, सूंघने-स्वाद की शक्ति कमजोर हो जाती है। एंडोस्कोपी की मदद से नाक की झिल्ली में सूजन चेक करते हैं। एलर्जी टेस्ट, सीटी स्कैन, ब्लड टेस्ट कराते हैं। श्वेत रक्त कणिकाओं में मौजूद स्नोफिल का लेवल बढऩे पर एलर्जी होती है।
घर की नियमित सफाई
एलर्जी कारणों को पहचान कर बचाव करें। भारी-भरकम और गद्देदार फर्नीचर का प्रयोग न करें। बिस्तर, कारपेट, गलीचों और पायदानों की सफाई करें। परफ्यूम का प्रयोग न करें। धूल-धुएं से बचें। घर में रोशनी और हवा की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए। तनाव न रखें। इससे इम्युनिटी कमजोर होती है। स्वीमिंग न करें।
चार कारणों से होती दिक्कत
एलर्जी : एलर्जी अहम कारण है। धूल, धुआं, परफ्यूम, पाउडर, मौसम में बदलाव, फूलों के परागकण, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की डस्ट से समस्या होती है।
बैक्टीरिया-फंगस : दो मुख्य बैक्टीरिया स्टे्रप्टोकॉकस और न्यूमोकोकल जिम्मेदार हैं। खेती करने वाले किसानों में एसपर्जिलस फंगस के कारण समस्या होती है।
वायरल इंफेक्शन : राइनोसाय-नोसाइटिस वायरल इंफेक्शन के कारण भी होता है। यह इंफ्लूएंजा वायरस से होता है। स्वाइन फ्लू भी इसी का एक रूप है।
चोट-ट्यूमर : बाहरी चीजों का नाक के अंदर चले जाना, नाक पर चोट लगना या नाक में ट्यूमर होने से भी नाक की झिल्ली में सूजन की समस्या हो सकती है।
आयुर्वेद में इलाज
पंचकर्म में नस्य क्रिया और प्रतिमर्श नस्य से इसका इलाज किया जाता है। गाय का पुराना घी, सरसों का तेल, अणु तेल, षणबिंदु तेल का प्रयोग करते हैं। नाक की रोजाना सफाई करते हैं। यदि कोई समस्या है तो प्रयोग से पहले आयुर्वेद विशेषज्ञ की परामर्श लें। रात में सोते समय गुनगुने दूध में हल्दी मिलाकर पीने से भी लाभ मिलता है।
जलनेति फायदेमंद
हल्के गुनगने पानी में एक चुटकी नमक मिलाकर सुबह-सुबह जलनेति करें। अगर रात में समस्या हो रही है तो भाप ले सकते हैं। इसे बारी-बारी से दोनों नाक में 8-10 मिनट तक लें। 20 मिनट तक बाहर न जाएं। नाक में एलर्जी करने वाले कण होते हैं जो जलनेति से निकल जाते हैं। कपालभाति, ताड़ासन, पादहस्तासन, त्रिकोणासन योग कर सकते हैं। इससे लाभ मिलता है।
डॉ. पवन सिंघल, वरिष्ठ ईएनटी सर्जन, एसएमएस चिकित्सालय, जयपुर
डॉ. अजय साहू, आयुर्वेद विशेषज्ञ, राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, जयपुर
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