स्वास्थ्य

कहीं आप किडनी रोग की चपेट में तो नहीं हैं, जानें लक्षण, कारण और बचाव

क्रोनिक किडनी डिजीज का मतलब है कि आपकी किडनी खराब है और ब्लड को सही तरीके से फिल्टर नहीं कर सकती हैं…

Mar 12, 2018 / 04:04 pm

dilip chaturvedi

kidney disease

आपके पास दो किडनी हैं। इनका मुख्य काम है यूरिन बनाने के लिए आपके रक्त से अपशिष्टों और अतिरिक्त पानी को फिल्टर करके बाहर निकालना। ये शरीर का रासायनिक संतुलन भी बनाए रखते हैं, ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने में सहायता करते हैं और हॉर्मोन बनाते हैं। क्रोनिक किडनी डिजीज का मतलब है कि आपकी किडनी खराब है और ब्लड को सही तरीके से फिल्टर नहीं कर सकती हैं। इस खराबी की वजह से आपके शरीर में अपशिष्टों का जमाव हो सकता है। इसकी वजह से आपको अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं, जो आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती हैं। मधुमेह और हाई ब्लड प्रेशर सीकेडी के सबसे सामान्य कारण हैं।

किडनी कई वर्षों में धीरे-धीरे खराब होती हैं। बीमारी बहुत गंभीर होने से पहले तक कई लोगों को इसके लक्षण का भी पता नहीं चलता है। यदि आपको किडनी का रोग है, तो ब्लड और यूरिन टेस्ट से इसका पता लगाया जा सकता है। यही मात्र एक तरीका है।

ट्रीटमेंट में ब्लड प्रेशर कम करने के लिए, ब्लड ग्लूकोज कंट्रोल करने के लिए और ब्लड कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए दवाएं शामिल हो सकती हैं। समय के साथ सीकेडी ज्यादा गंभीर हो सकता है। सीकेडी की वजह से किडनी खराब हो सकती हैं। किडनी खराब होने के लिए एकमात्र उपचार विकल्प में डायलिसिसया किडनी प्रत्यारोपण शामिल है।
क्रोनिक किडनी विफलता एक्यूट किडनी की विफलता के विपरीत, एक धीरे-धीरे बढऩे वाली बीमारी है। यहां तक कि अगर एक किडनी काम करना बंद कर देती है, तो दूसरी किडनी सामान्य रूप से कार्य कर सकती है। इसके लक्षण तब तक दिखाई नहीं देते, जब तक यह बीमारी अपने उच्च चरण में नहीं पहुंच जाती। इस चरण में बीमारी से होने वाले नुकसान को ठीक नहीं किया जा सकता।
यह बहुत महत्वपूर्ण है कि जिन लोगों में किडनी रोग होने की अधिक सम्भावना हो, उन्हें अपनर किडनी की नियमित रूप से जांच करानी चाहिए। बीमारी का शुरुआत में ही पता चल जाने पर किडनी में होने वाली गंभीर क्षति को रोका जा सकता है।

क्रोनिक किडनी रोग के सामान्य लक्षण…
– एनीमिय (खून की कमी)
– भूख काम लगना
– मूत्र में रक्त आना
– मूत्र की मात्रा में कमी आना
– मूत्र का रंग गहरा होना
– एडिमा सूजे हुए पैर, हाथ और टखने (एडिमा के गंभीर होने पर चेहरा भी सूज जाता है।)
– थकान
– हाई ब्लड प्रेशर
– त्वचा में लगातार खुजली होना
– जल्दी जल्दी पेशाब आना (विशेष रूप से रात में)
– मांसपेशियों में ऐंठन
– मांसपेशियों में झनझनाहट होना
– जी मिचलाना
– शरीर के वजन में अचानक बदलाव आना
– अचानक सिरदर्द होना


क्रोनिक किडनी रोग के कारण…
हमारे शरीर में फिल्ट्रेशन की जटिल प्रणाली को गुर्दे पूरा करते हैं। ये अतिरिक्त अपशिष्ट और तरल पदार्थों को रक्त से अलग करके शरीर से उत्सर्जित करने का काम करते हैं। प्रत्येक किडनी में लगभग 1 मिलियन सूक्ष्म फल्टिरिंग ईकाइयां होती हैं, जिन्हें नेफ्रॉन कहा जाता है। कोई भी बीमारी जो नेफ्रॉन को नुकसान पहुचाती है, उससे किडनी की बीमारी भी हो सकती है। मधुमेह और हाई ब्लड प्रेशर दोनों ऐसी बीमारिया हैं, जो नेफ्रॉन को नुकसान पहुचा सकती हैं। (ज़यादातर किडनी की बीमारी मधुमेह और हाई ब्लड प्रेशर की वजह से ही होती है।)
अधिकतर मामलों में किडनी हमारे शरीर में उत्पन्न होने वाले ज़यादातर अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती हैं। हालांकि, यदि किडनी तक पहुंचने वाला ब्ल्ड सर्कुलेशन प्रभावित हो जाता है, तो ये अच्छी तरह से काम नहीं करते। ऐसा होने का कारण कोई क्षति या बीमारी होती है। यदि यूरिन निकलने में बाधा आती है, तो समस्याएं हो सकती हैं। अधिकांश मामलों में किसी जीर्ण बीमारी का परिणाम होता है सीकेडी जैसे मधुमेह क्रोनिक किडनी रोग को मधुमेह के प्रकार 1 और 2 से जोड़ा गया है। यदि रोगी का मधुमेह सही तरह से नियंत्रित नहीं है, तो चीनी (ग्लूकोज) की अत्यधिक मात्रा ब्ल्ड में जमा हो सकती है। किडनी की बीमारी मधुमेह के पहले 10 सालों में आम नहीं होती है। यह बीमारी आमतौर पर मधुमेह के निदान के 15-25 साल बाद होती है।

हाई ब्लड प्रेशर: हाई ब्लड प्रेशर किडनी में पाए जाने वाले ग्लोमेरुली भागों को नुकसान पहुंचा सकता है। ग्लोमेरुली शरीर में उपस्थित अपशिष्ट पदार्थों को छानने में मदद करते हैं।

बाधित मूत्र प्रवाह: यदि मूत्र प्रवाह को रोक दिया जाता है, तो वह मूत्राशय (वेसिकुरेटेरल रिफ्लक्स-से वापस किडनी में जाकर जमा हो जाता है। रुके हुए मूत्र का प्रवाह गुर्दों पर दबाव बढ़ाता है और उसकी कार्य क्षमता को कम कर देता है। इसके संभावित कारणों में बढ़ी हुई पौरुष ग्रंथि गुर्दों में पथरी या ट्यूमर शामिल है।

अन्य किडनी डिसीज: इसमें पॉलीसिस्टिक किडनी रोग, पाइलोनेफ्रिटिस या ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस किडनी धमनी स्टेनोसिस किडनी में प्रवेश करने से पहले गुर्दे की धमनी परिसीमित हो जाती या रुक जाती हैं।

कुछ विषैले पदार्थ: इनमें ईंधन, सॉल्वेंट्स (जैसे कार्बन टेट्राक्लोराइड), सीसा और इससे बन पेंट, पाइप और सोल्डरिंग सामग्री शामिल हैं। यहां तक कि कुछ प्रकार के गहनों में विषाक्त पदार्थ होते हैं, जो कि किडनी के फेल होने का कारण बन सकते हैं।

भ्रूण के विकास संबंधी: यदि गर्भ में विकसित हो रहे शिशु के गुर्दे सही प्रकार से विकसित नहीं होते हैं।

सिस्टमिक लुपस एरीथमैटोसिस: यह एक स्व-प्रतिरक्षित बीमारी है। इसमे शरीर की अपनी ही प्रतिरक्षा प्रणाली गुर्दों की गंभीर रूप से प्रभावित करती है, जैसे कि व कोई बाहरी ऊतक हों।

मलेरिया और पीला बुखार: गुर्दों के कार्य में बाधा डालने के लिए जिम्मेदार होते हैं।

कुछ दवाएं: उदाहरण के लिए एनएसएआईडीएस जैस एस्पिरिन या इबुप्रोफेन का अत्यधिक उपयोग।
अवैध मादक द्रव्यों का सेवन: जैसे हेरोइन या कोकेन।

चोट: गुर्दों पर तेज झटका या चोट लगना।

ऐसे बचें किडनी रोग से…
क्रोनिक किडनी रोग को कैसे रोका जा सकता है? आप सीकेडी की रोकथाम हमेशा नहीं कर सकते। हालांकि हाई ब्लड प्रेशर और मधुमेह कोकंट्रोल करके किडनी रोग के खतरों को कम किया जा सकता है। यदि आपको किडनी की गंभीर समस्या है, तो इसके लिए आपको नियमित जांच करानी चाहिए। सीकेडी का निदान शीघ्र करने पर इसे बढऩे से रोका जा सकता है। इस बीमारी से ग्रसित व्यक्तियों को अपने डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों व सलाह का पालन करना चाहिए। आहार पौष्टिक आहार, जिसमें बहुत से फल और सब्जियां साबुत अनाज, बिना चर्बी वाला मांस या मछली शामिल हों, हाई ब्लड प्रेशर को कम रखने में मदद करता है।

शारीरिक गतिविधि नियमित…
फिजिकली एक्सरसाइज ब्लड प्रेशर के स्तर को सामान्य बनाए रखने के लिए आदर्श माना जाता है। यह मधुमेह और हृदय रोग जैसी दीर्घकालीन बीमारियों को नियंत्रित करने में भी मदद करता है। प्रत्येक व्यक्ति को चाहिए कि वे अपनी उम्र, वजन और स्वास्थ्य के लिए अनुकूल व्यायाम के बारे में डॉक्टर से परामर्श ले।

कुछ पदार्थों से बचें…
शराब और ड्रग्स का सेवन न करें। लीड जैसी भारी धातुओं के साथ अधिक समय तक संपर्क में आने से बचें। ईंधन, सॉल्वेंट्स और अन्य विषैले रसायनों से अपने आप को बचाकर रखें।

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